देश की शीर्ष अदालत ने रामसेतु मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर जनहित याचिका को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध करने पर अपनी सहमति दे दी है.
इस जनहित याचिका में राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक (National Heritage Monument) घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है.
इससे पहले केंद्र ने 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के मुद्दे पर विचार कर रहा है.
Dr Subramanian Swamy mentions the plea seeking national heritage status for the Ram Setu
— Bar & Bench (@barandbench) March 20, 2023
Dr Swamy: Centre was asked to inform of a stand on Jan 19 but nothing has been filed on record and now the constitution bench is also over
CJI DY Chandrachud: another constitution bench is… pic.twitter.com/zFdlz2cyMX
जनहित याचिका में क्या कहा गया है?
पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर इस याचिका में केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग की गयी है कि सरकार राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करें. साथ ही स्वामी ने इस मामलें में केंद्र सरकार पर राम सेतु मामले में देरी करने का आरोप लगाया है.
स्वामी ने कहा कि केंद्र नौ साल से अधिक समय से इस मामले को लटका रहा है और अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. हालांकि केंद्र ने 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने पर विचार कर रहा है.
मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार:
राम सेतु मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पर्दीवाला ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर ध्यान दिया.साथ ही CJI ने एक नए संविधान बेंच के शुरू होने की भी बात कही.
जनवरी में इस मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि सुब्रमण्यम स्वामी चाहें तो सरकार को एक अभ्यावेदन दें. साथ ही कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए भी कहा था और स्वामी को असंतुष्ट होने पर फिर से संपर्क करने की स्वतंत्रता भी दी थी, और इस मुद्दे पर उनके अंतरिम आवेदन का निपटारा कर दिया था.
स्वामी ने 2007 में उठाया था मामला:
राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का मामला सबसे पहले वर्ष 2007 में स्वामी द्वारा उठाया गया था. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने सेतु समुंद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट लेकर आई थी.
इस प्रोजेक्ट के तहत पानी की जहाजों की आवाजाही के लिए मन्नार और पाक जलडमरूमध्य को जोड़ने की योजना थी. इस प्रोजेक्ट के तहत रामसेतु के पास के उथले समुद्र को गहरा करके जहाजों के आने-जाने का रास्ता बनाने की योजना थी.
लेकिन सरकार के इस प्रोजेक्ट का कई संगठनो ने विरोध किया और इस परियोजना से राम सेतु पर प्रभाव पड़ने का आरोप लगाया गया था.
केंद्र सरकार का पक्ष:
रामसेतु मामले पर तत्कालीन केंद्र सरकार का रुख पहले से ही स्पष्ट है. सरकार ने कोर्ट को बताया था कि समुद्र में जहाजों के परिचालन के लिए प्रस्तावित सेतुसमुद्रम परियोजना से रामसेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार कोई दूसरा विकल्प खोज रही है.
'साइंस चैनल' ने पेश की थी डाक्यूमेंट्री:
डिस्कवरी कम्युनिकेशंस के स्वामित्व वाले 'साइंस चैनल' के द्वारा भारत और श्रीलंका के बीच मानव निर्मित पुल के वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करने वाले प्रोमो के प्रसारण पेश करने के बाद, राम सेतु या एडम ब्रिज के अस्तित्व में होने की बहस को नया जीवन मिला था. वर्ष 2007 में तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल सिब्बल ने तर्क दिया था कि यह साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि राम सेतु मानव निर्मित है.
यह डाक्यूमेंट्री 'साइंस चैनल' पर व्हाट ऑन अर्थ (What on Earth) नामक एक शो में प्राचीन लैंड ब्रिज (Ancient Land Bridge) नामक एक एपिसोड में प्रसारित किया गया था.
Are the ancient Hindu myths of a land bridge connecting India and Sri Lanka true? Scientific analysis suggests they are. #WhatonEarth pic.twitter.com/EKcoGzlEET
— Science Channel (@ScienceChannel) December 11, 2017
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