सुप्रीम कोर्ट ने 01 सितंबर 2017 को नैनीताल हाईकोर्ट के द्वारा दिए गये एक निर्णय पर रोक लगा दी, जिसमें यह आदेश दिया गया था कि ईवीएम की आलोचना कोई भी नहीं सकता. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ईवीएम की आलोचना की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब छह सप्ताह बाद मामले की सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
याचिकाकर्ता रमेश पांडेय की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच के समक्ष कहा गया कि हाईकोर्ट का यह आदेश कानून के अनुसार वैध नहीं है क्योंकि यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है.
इससे पूर्व 02 जून 2017 को उत्तराखंड के नैनीताल हाइकोर्ट ने कहा था कि किसी को भी ईवीएम की आलोचना करने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसके आदेशों पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दलों को किसी भी संवैधानिक संस्था की साख को धक्का पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
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