वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में नए तारामंडल की खोज की

Nov 22, 2018, 10:07 IST

एपेप तारामंडल पृथ्वी से 8,000 प्रकाश वर्ष दूर है लेकिन इसका धीमी गति से घूमना वैज्ञानिकों को सितारों के अस्तित्व के समाप्त होने पर पुनः विचार करने का अवसर देगा.

Scientists discovered new pinwheel star system in galaxy
Scientists discovered new pinwheel star system in galaxy

वैज्ञानिकों ने मिल्की वे आकाशगंगा में एक नए और विशाल तारामंडल की मौजूदगी का पता लगाया गया है. यह सुपरनोवा स्थिति में पाया गया है लेकिन यह तारामंडल उन मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देता है कि बड़े सितारों का अस्तित्व अंतत: कैसे खत्म हो जाता है.
अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में नासा के एक रिसर्चर बेंजमिन पोप ने कहा, “हमारी आकाशगंगा में खोजा गया यह अपने आप में एक अनोखा तारामंडल है.”

मुख्य बिंदु


•    वैज्ञानिकों ने गामा रे बर्स्ट प्रोजेनिटर सिस्टम का पता लगाया जो एक तरह का सुपरनोवा है.

•    इस सुपरनोवा से प्लाज्मा की काफी शक्तिशाली और संकरी धारा निकलती रहती है. माना जाता है कि ऐसी क्रिया सिर्फ दूर स्थित आकाशगंगाओं में ही होती है.

•    ऐसा माना जाता है कि यह केवल ऐसी आकाशगंगाओं में मिलता है जो बहुत दूरी पर हैं.

•    इस तारामंडल के बारे में विस्तार से नेचर एस्ट्रोनोमी पत्रिका में बताया गया है और इसे 'एपेप' (Apep) नाम दिया गया है.

•    इस खोज में नीदरसलैंड इंस्टिट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी, द यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिडनी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग, यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफील्ड तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिक शामिल थे.

 

क्यों है खास?

वैज्ञानिकों का मानना है कि एपेप एक धूल भरा गुबार है जो अन्य सुपरनोवा की तुलना में अधिक धीमा है. यह तारामंडल पृथ्वी से 8,000 प्रकाश वर्ष दूर है लेकिन इसका धीमी गति से घूमना वैज्ञानिकों को सितारों के अस्तित्व के समाप्त होने पर पुनः विचार करने का अवसर देगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि जितनी इसकी चमक है उसको देखते हुए यह बात चौंकाने वाली है कि अब तक इसके बारे में पता क्यों नहीं चला.



सुपरनोवा

खगोलशास्त्र में सुपरनोवा किसी तारे की मृत्यु के समय होने वाले भयंकर विस्फोट को कहते हैं. सुपरनोवा इतना शक्तिशाली होता है कि इससे निकलता प्रकाश और विकिरण (रेडीएशन) कुछ समय के लिए अपने आगे पूरी आकाशगंगा को भी धुंधला कर देता है. सुपरनोवा के समय अधिकतर तारे 1,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से घूमते हैं. तारों का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से भी अधिक होता है इसलिए यह उसे संभाल पाने में असहज हो जाते हैं जिसके कारण यह तीव्र रेडियो एक्टिव तरंगो तथा एक्स-रे तरंगों के साथ घूर्णन करने लगते हैं.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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