बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 29 मार्च 2016 को केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की निवेश सीमा को बढ़ाने का फैसला किया. इससे भारतीय पूंजी बाजारों में विदेशी कोष का प्रवाह बढ़ेगा.
निवेश सीमा को 135400 करोड़ रुपयों से बढ़ाकर 140000 करोड़ रुपये कर दिया गया था और यह 4 अप्रैल 2016 से प्रभावी हो जाएगा. 5 जुलाई 2016 से इसे बढ़ाकर 144000 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा.
मुख्य तथ्य
- राज्य विकास ऋणों में सभी एफपीआई द्वारा निवेश के लिए अलग सीमा होगी.
- केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में दीर्घकालिक एफपीआई (साव्रिन वेल्थ फंड्स, बहुपक्षीए एजेंसियां, बंदोबस्ती कोष, बीमा कोष, पेंशन कोष और विदेशी केंद्रीय बैंक) के लिए सीमा बढ़ा दी जाएगी. 4 अप्रैल 2016 से यह 50000 करोड़ रुपये हो जाएगा और 5 जुलाई 2016 से 56000 करोड़ रुपये. फिलहाल, दीर्घकालिक एफपीआई के लिए मौजूदा सीमा 44100 करोड़ रुपये है.
- राज्य विकास ऋण (एसडीएल) में सभी एफपीआई द्वारा निवेश की सीमा को मौजूदा 7000 करोड़ रुपयों से बढ़ाकर क्रमशः 4 अप्रैल 2016 से 10500 करोड़ रुपये और 5 जुलाई 2016 से, 14000 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा.
- दीर्घकालिक एफपीआई के लिए वृद्धिशील सीमा बढ़ जाएगी. 4 अप्रैल 2016 से यह 5900 करोड़ रुपये और 5 जुलाई 2016 से, 6000 करोड़ रुपये होगी.
- एसडीएल में एफपीआई द्वार निवेश के लिए प्रत्येक 3500 करोड़ रुपयों के वृद्धिशील सीमा 4 अप्रैल 2016 और 5 जुलाई 2016 से क्रमशः टैप पर निवेश के लिए उपलब्ध होगा.
- केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के लिए दीर्घ काल और अन्य निवेशकों द्वारा सीमाओं के उपयोग के हद को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 1 अक्टूबर 2016 से दीर्घ कालिक एफपीआई के लिए सरकारी ऋण सीमा के भीतर अप्रयुक्त किसी भी सीमा हेतु आधे वर्ष की समाप्ति पर बाकी बचे आधे वर्ष के लिए एफपीआई की सभी श्रेणियों में अतिरिक्त सीमा के तौर पर निवेश के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
- यह फैसला भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रभाव में आने के तत्काल बाद इसकी धारा 11(1) के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए किया गया है.
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