भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारतीय कंपनियों द्वारा किये जाने वाले विलय तथा समावेशन में सार्वजनिक शेयरधारकों के हितों की रक्षा हेतु नियमों को कड़ा करने के लिए नए निर्देश जारी किये.
बाजार नियामक संस्था द्वारा किये गये बदलावों से प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी तथा सुचारू बनाया जा सकता है. इससे बड़ी एवं गैर-सूचीबद्ध कंपनियों को छोटी कम्पनियों में विलय से रोका जा सकता है.
विलय के अभ्यास के मार्ग का उपयोग करने से गैर-सूचीबद्ध कंपनी के लिए एक अप्रत्यक्ष सूची प्राप्त करना आसान नहीं होगा.
नए नियम शेयरधारकों के सभी वर्गों के विलय और अधिग्रहण के लिए न्यायसंगत उपचार को सुनिश्चित करेंगे. इससे गैर-सूचीबद्ध कम्पनियों के लिए विलय करना आसान नहीं होगा.
सेबी के नए नियम
• विलय के बाद सार्वजानिक शेयरधारकों का शेयर 25 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए.
• कोई भी गैर सूचीबद्ध कम्पनी किसी सूचीबद्ध इकाई के साथ विलय कर सकती है लेकिन उसके लिए राष्ट्रव्यापी स्तर पर शेयर बाजार ट्रेडिंग टर्मिनलों पर सूचीबद्ध होना आवश्यक है.
• जिन कम्पनियों के विलय के दौरान सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से कम होगी वहां ई-वोटिंग अनिवार्य होगी.
• एक सूचीबद्ध कम्पनी के साथ विलय के लिए गैर-सूचीबद्ध कम्पनी को अपने मैटिरियल की जानकारी देनी होगी जिसमें आईपीओ संबंधी जानकारी शामिल होगी.
• कम्पनियों को शेयरों के लिए सेबी के आईसीडीआर के अनुसार कीमतों को जानना होगा.
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