कचरा मुक्त शहरों के लिए शहरी स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्मार्ट स्टार रेटिंग कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने गोवा में 'कचरा मुक्त शहरों के लिए स्मार्ट स्टार रेटिंग के लिए प्रोटोकॉल' जारी किया.
स्मार्ट स्टार रेटिंग पहल क्या है?
• स्मार्ट स्टार रेटिंग पहल को स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत विकसित किया गया है. इसमें शहरों को 7-स्टार रेटिंग प्रणाली पर निर्धारित किया जायेगा.
• विभिन्न सफाई सूचकांक तैयार किये गये हैं जिनके आधार पर ठोस कचरा प्रबंधन के लिए रेटिंग दी जाएगी.
• इस रेटिंग के लिए कचरे को अलग-अलग करने, कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन प्लास्टिक के कचरे से निपटने के लिए किये गये उपाय तथा नागरिक शिकायत निवारण प्रणाली को शामिल किया गया है.
• किसी भी शहर को तीन से ऊपर की रेटिंग के लिए सुनिश्चित करना होगा कि वह शहर खुले में शौच से मुक्त होना चाहिए.
• इस प्रोटोकॉल के निर्देशों के अनुसार किये गये कार्यों के आधार पर ही शहरों को रेटिंग मिलेगी.
• स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह एक शहर की स्वच्छता दर को रेट करने के लिए एक ही माप को हितधारकों को प्रदान करता है.
• स्वच्छता में उच्च ग्रेडिंग के लिए काम करने के लिए प्रोटोकॉल में सभी हितधारकों और आम लोगों की भागीदारी शामिल होगी.
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स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
• इस मिशन का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख समुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय, और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है.
• इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहीँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जायेगा.
• पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा.
• यह कार्यक्रम पाँच साल अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा.
• कार्यक्रम पर खर्च किये जाने वाले 62,009 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार की तरफ से 14,623 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएगें.
• केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले 14,623 करोड़ रुपयों में से 7,366 करोड़ रुपये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर 4,165 करोड़ रुपये व्यक्तिगत घरेलू शौचालय पर 1,828 करोड़ रुपये जनजागरूकता पर और समुदाय शौचालय बनवाये जाने पर ₹655 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे
• इस कार्यक्रम खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करने, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करने, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ीं प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना आदि शामिल हैं.
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