प्रसिद्ध वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने 22 जनवरी 2018 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक का पदभार ग्रहण किया. उन्होंने के. सिवन का स्थान लिया है जिन्हें हाल ही में इसरो का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
वीएसएससी के सूत्रों ने बताया कि सोमनाथ ने बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में पदभार ग्रहण किया. इस पद से पूर्व वे वलियामला स्थित द्रव नोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक रहे हैं जो इसरो के उपग्रह कार्यक्रमों और सभी प्रकार के वाहनों के प्रक्षेपण संबंधी चरणों और द्रव्य इंजनों के लिए उत्तरदायी केंद्र है.
एस सोमनाथ
• एस सोमनाथ ने वर्ष 1985 में इसरो में कार्य करना आरंभ किया था.
• उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी) के शुरुआती विकास चरण के दौरान उसके एकीकरण के लिए टीम लीडर की भूमिका निभाई थी
• वे पीएसएलवी के निर्माण तथा विकास कार्यक्रम में टीम के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने पीएसएलवी की दूसरी उड़ान के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
• वे विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के एसोसिएट डायरेक्टर भी रहे तथा जीएसएलवी मार्क-3 लॉन्च व्हीकल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रहे.
• उन्हें इसरो से मेरिट अवार्ड तथा परफॉरमेंस एक्सीलेंस अवार्ड भी प्राप्त हुआ था. इसके अतिरिक्त उन्हें जीएसएलवी मार्क-3 के निर्माण हेतु इसरो द्वारा टीम एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
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विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) इसरो का सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्र है. यह तिरुवनंतपुरम में स्थित है. यहाँ पर रॉकेट, प्रक्षेपण यान एवं कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण एवं उनसे सम्बंधित तकनीकी का विकास किया जाता है. केंद्र की शुरुआत थम्बा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र के तौर पर 21 नवम्बर 1963 में हुई थी. केंद्र का पुनः नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ॰ विक्रम साराभाई के सम्मान में किया गया. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला वायुमंडलीय विज्ञान में अध्ययन और अनुसंधान तथा अंतरिक्ष विज्ञान संबंधी गतिविधियाँ निष्पांदित करती है. केरल के अलुवा में अमोनियम परक्लोरेट प्रायोगिक संयंत्र (एपीईपी) वीएसएससी का एक भाग है.
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