इंटरनैशनल राइट्स ग्रुप ऑक्सफैम की ओर 22 जनवरी 2018 को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि देश की 73 प्रतिशत संपत्ति पर महज 1 प्रतिशत अमीर लोग काबिज हैं.
ऑक्सफैम की इस रिपोर्ट का नाम 'रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ' है. विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक से पूर्व जारी इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में पता चला है कि यह आंकड़ा सबसे गरीब भारतीयों का है जो देश की कुल आबादी का आधा है.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
• सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष विश्व भर की संपत्ति में जो वृद्धि हुई उसका 82 प्रतिशत हिस्सा केवल एक प्रतिशत अमीर आबादी के हाथ में है.
• दूसरी ओर यह भी देखा गया कि विश्व के 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई वृद्धि दर्ज नहीं हुई.
• रिपोर्ट के अनुसार गरीबों की यह तादाद विश्व की कुल आबादी के आधे हिस्से के बराबर है.
• इस वर्ष के सर्वेक्षण से भी पता चला है कि 2017 में देश की सबसे धनी 1 प्रतिशत आबादी की संपत्ति 20.9 प्रतिशत बढ़ी है.
• यह राशि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भारत सरकार की बजट राशि के बराबर है.
• इस अध्ययन में पाया गया कि न्यूनतम मजदूरी पानेवाले ग्रामीण भारत का किसी मजूदर को देश के किसी गारमेंट कंपनी के एक टॉप एग्जिक्युटिव की एक साल की आमदनी के बराबर कमाई करने में 941 साल लग जाएंगे.
• इसी प्रकार अमेरिका में एक सामान्य कामगार सालभर में जितना कमाता है, उतना एक सीईओ एक दिन में ही कमा लेता है.
• सर्वेक्षण में 10 देशों के 70,000 लोगों से पूछताछ की गई.
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ऑक्सफैम इंडिया के बारे में
ऑक्सफैम इंडिया एक गैर सरकारी संस्था है जो मुख्य रूप से गरीबी और असमानता जैसे विषयों पर काम करती है. ऑक्सफैम के अनुसार गरीबी का अर्थ अवसर, विकल्प, संसाधन, जानकारी एवं सुरक्षा की कमी है. ऑक्सफैम शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाओं की सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, कृषि तथा जलवायु संबंधी विषयों पर कार्य करता है.
ऑक्सफैम ग्रेट ब्रिटेन ने वर्ष 1951 में बिहार में सूखे की समस्या से भारत में काम करना शुरू किया. इसके बाद ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया ने 1957 में भारत में फ़ूड फॉर पीस अभियान आरंभ किया. वर्ष 2002 में भारत में ऑक्सफैम ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन किया गया. सभी इकाईयों को मिलाकर ऑक्सफैम इंडिया का गठन किया गया. वर्ष 2015 में इसने अपनी पांच वर्षीय योजना लॉन्च की.
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