Sri Lanka economic crisis explained: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने हाल ही में आपातकाल की घोषणा कर दी है. श्रीलंका सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों में उग्र विरोध प्रदर्शनों के बाद यह फैसला लिया है. बता दें कि अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की पूरी कैबिनेट ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका सरकार के सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अभी पीएम पद पर बने हुए हैं. श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) के बीच महिंदा राजपक्षे की सरकार के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने एक साझा पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.
श्रीलंका में खाद्य पदार्थों, ईंधन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं के भारी संकट के बीच उन पर पद छोड़ने का भारी दबाव बना हुआ है. बता दें कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. श्रीलंका आजादी के बाद पहली बार अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.
40,000 हजार टन डीजल भेजा भारत
इस संकट से निपटने के लिए भारत से 40,000 हजार टन डीजल की एक खेप 02 अप्रैल 2022 को श्रीलंका पहुंची. श्रीलंका में बिजली कटौती को कम करने के लिए नई दिल्ली से इस तरह की सहायता की चौथी खेप पहुंची है. कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि भारत द्वारा श्रीलंका को ईंधन की आपूर्ति की गई.
1 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन
श्रीलंका को भारत ने 1 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन अर्थात ऋण सहायता देने पर सहमति जताई है. इससे श्रीलंका को अनिवार्य वस्तुओं की कमी को पूरा करने में सहायता मिलेगी. भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. भारत से ऐसे में चावल की खेप श्रीलंका पहुंचने के बाद वहां चावल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है जो बीते एक साल में दोगुना बढ़ चुकी हैं.
बुनियादी जरूरतों को पूरी कर पाने में असफल
सरकार जनता की बुनियादी जरूरतें पूरी कर पाने में असफल हो गई है. श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल से लेकर दूध और दूसरी खाद्य सामग्रियां इतनी महंगी हो गई हैं कि लोग खरीद नहीं पा रहे हैं. कभी पर्यटन हेतु दुनिया में मशहूर यह आइलैंड देश, आर्थिक तौर पर तबाह हो चुका है. बता दें हालात इतने बुरे हैं कि आजादी के बाद इस देश ने ऐसे हालात कभी नहीं देखे हैं. श्रीलंका एक बार फिर गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है.
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था क्यों बदहाल हुई है?
बता दें श्रीलंका की आर्थिक बदहाली की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है. फिलहाल श्रीलंका के पास 2.31 अरब डॉलर बचे हैं. विदेशी मुद्रा के रूप में केवल 17.5 हजार करोड़ रुपये ही श्रीलंका के पास हैं. श्रीलंका कच्चे तेल एवं अन्य चीजों के आयात पर एक साल में खर्च 91 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. बता दें अब श्रीलंका के पास केवल 17.5 हजार करोड़ रुपये ही हैं.
कई चीजों की कीमतें बढ़ी
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था गिर गई है. श्रीलंका के पास अब इतनी भी रकम नहीं बची है कि वह अपनी जरूरत भर का तेल खरीद सके. श्रीलंका के पास अब न तो कच्चा तेल खरीदने के लिए पैसा बचा है और न ही वह गैस एवं दूसरी चीजों का आयात कर पा रहा है. इस कारण से श्रीलंका में पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस सहित कई चीजों की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं.
श्रीलंका में क्यों घोषित किया गया आपातकाल?
आर्थिक तंगी एवं बदहाली की वजह से श्रीलंका के आम नागरिक सड़कों पर आ गए हैं तथा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीलंका के राष्ट्रपति भीषण हिंसक माहौल को देखते हुए आपातकाल की घोषणा की है. श्रीलंका का संकट भी अभी टलता नजर नहीं आ रहा है. यह स्थिति श्रीलंका में कब तक बनी रहेगी इस संबंध में जानकार भी असमंजस की स्थिति में हैं.
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