जीएम कॉटन सीड्स पर मोनसैंटो का पेटेंट वैध: सुप्रीम कोर्ट

Jan 8, 2019, 17:24 IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट को मोनसैंटो के उस दावे को भी देखना था, जिसमें उन्होंने कहा था कि एनएसएल ने बीटी कॉटन सीड्स को लेकर उसकी बौद्धिक संपदा का उल्लंघन किया है.

Supreme Court holds Monsanto’s patent on GM cotton seeds valid
Supreme Court holds Monsanto’s patent on GM cotton seeds valid

सुप्रीम कोर्ट ने 08 जनवरी 2018 को फैसला सुनाया कि जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) बीटी कॉटन पर मोनसैंटो का पेटेंट वैध है. सुप्रीम कोर्ट से बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसैंटो को बड़ी राहत मिली है.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश था कि भारतीय कानून के तहत कंपनियां पौधों की प्रजातियों और बीजों का पेटेंट नहीं करा सकती हैं. दरअसल, मोनसैंटो का आरोप था कि भारतीय कंपनियां उसके बीटी कॉटन पेटेंट का उल्लंघन कर रही हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अमेरिकी बीज निर्माता कंपनी जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) कॉटन सीड्स पर पेटेंट का दावा कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसकी वजह से मोनसैंटो जीएम कॉटन सीड्स पर पेटेंट का दावा नहीं कर पा रही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट को मोनसैंटो के उस दावे को भी देखना था, जिसमें उन्होंने कहा था कि एनएसएल ने बीटी कॉटन सीड्स को लेकर उसकी बौद्धिक संपदा का उल्लंघन किया है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को विदेशी कृषि कंपनियों मसलन मोनसैंटो, बेयर, डूपॉ पायोनियर और सेनजेंटा के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है. इन कंपनियों को भी भारत में जीएम फसलों पर पेटेंट के हाथ से जाने का डर सता रहा था.

यह अच्छी खबर है क्योंकि अधिकांश अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने पेटेंट नियमों को लेकर जारी अनिश्चितता की वजह से भारतीय बाजार में नई तकनीक को जारी करने पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि नई तकनीक तक किसानों की पहुंच से उन्हें मदद मिलेगी.

भारत दुनिया में सबसे अधिक कपास का उत्पादन करता है. इसके साथ ही वह कपास का दूसरा बड़ा निर्यातक है. भारत में कपास की खेती का 90 प्रतिशत रकबा, मोनसैंटो की जीएम बीज पर निर्भर है.

 

मोनसैंटो:

मेको मोनसैंटो बायोटेक (इंडिया), मॉनसेंटो और महाराष्ट्र की हाइब्रिड सीड कंपनी (मेको) का संयुक्त उपक्रम है और यही कंपनी 40 से अधिक भारतीय बीज कंपनियों को जीएस कॉटन बीज की बिक्री करती है. मोनसैंटो को जर्मनी की दवा और फसलों के लिए रासायन बनाने वाली कंपनी बेयर एजी खरीद चुकी है.

 

पृष्ठभूमि:

दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला स्थानीय कंपनी एनएसएल की याचिका पर आया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत का पेटेंट कानून मॉनसेंटो को उसके जीएम कॉटन बीज पर किसी तरह के पेटेंट की इजाजत नहीं देता है.

इसके बाद मोनसैंटो के भारतीय साझा उपक्रम (जेवी) ने रॉयल्टी भुगतान के विवाद को लेकर वर्ष 2015 में एनएसएल के साथ अपने करार को रद्द कर दिया था. वर्ष 2003 में मोनसैंटो के जीएम कॉटन सीड को मंजूरी दी गई थी.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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