बिहार सरकार द्वारा राज्य में लागू शराबबंदी कानून का सुप्रीम कोर्ट ने समर्थन किया है. कुछ समय पूर्व पटना उच्च न्यायालय ने बिहार शराबबंदी कानून को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इस कानून में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है.
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के निर्णय के विरुद्ध बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. बिहार में इस साल 5 अप्रैल से ही शराबबंदी लागू है.
शराबबंदी कानून का विरोध-
- बिहार सरकार के शराबबंदी कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर समाजसेवी और राजनीतिक दल भी इसका विरोध कर रहे थे. इसी सम्बन्ध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी.
- पटना उच्च न्यायालय ने शराबबंदी कानून को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था.
- राज्य सरकार ने शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल भेजने जैसे कानून पारित किए थे.
- बेहद सख्त माने जा रहे बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 में शराब (जहरीली) पीने से हुई मौत के मामले में फांसी का प्रावधान किया गया था.
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार शराबबंदी कानून रद्द किया
दो अक्टूबर को लागू हो गया नया शराबबंदी कानून-
- दो अक्टूबर को बिहार कैबिनेट ने बैठक में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सभी मंत्रियों ने संकल्प लिया और पूरे राज्य में इस कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया.
पृष्ठभूमि-
- बिहार सरकार का शराबबंदी कानून सरकार ने 5 अप्रैल को लागू किया.
- इसमें नीतीश सरकार ने देसी शराब के बनाने से लेकर उसके बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
- आरम्भ में केवल देसी शराब पर रोक थी बाद में सभी प्रकार की शराब की बिक्री को प्रतिबन्धित कर दिया गया.
- 5 अप्रैल को नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी.
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