प्रधान मंत्री मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने अगस्त 2017 में अपने 3 साल पूरे किये. प्रधानमंत्री जन-धन योजना को 2014 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शुरू की गयी थी, और तब से इस परियोजना ने 30 करोड़ परिवारों को बैंकिंग नेटवर्क से जोड़ा है और अब तक इन खातों में लगभग 65000 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं.
क्या है ये योजना?
पीएमजेडीवाई का उद्देश्य अपने नागरिक को सभी प्रकार की वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना है, जो "वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन" के तहत शुरू किया गया था। यह फ्लैगशिप कार्यक्रम के तहत न्यूनतम केवाईसी में सभी के लिए बैंक खाते खोलना, उन्हें इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए रूपे कार्ड प्रदान करना और बिना किसी झंझट के क्रेडिट और बीमा सुनिश्चित करना शामिल है।
इस परियोजना की मुख्य उपलब्धियां:
1. अभी तक यानि की 16 अगस्त 2017 तक कुल 30 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले जा चुके हैं जिसमें कुल 18 करोड़ (17.64 करोड़) ग्रामीण खाते हैं.
2. अभी तक जारी किए गए रुपे कार्डों की कुल संख्या 23 करोड़ है.
3. अभी तक इस खाते में जमा कुल राशि 65000 करोड़ रूपये है, जो कि प्रति खाता कुल 2231 रुपए है.
4. इस कार्यक्रम के तहत शून्य राशि की खाता का प्रतिशत 77% से घटकर 21.41% हो गया है.
5. इस अवधि के दौरान खोले गए सभी खातों में महिला खाता का प्रतिशत 2014 के 28% से बढ़कर 2017 में 40% हो गया.
इन सभी पहलों के अलावा सरकार ने गरीबों की सुरक्षा के लिए क्रमशः जीवन और किसी दुर्घटना के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) का शुभारंभ किया गया है.
जैम(JAM) ट्रिनिटी:
हालांकि, ये कार्यक्रम सरकार के व्यापक परिदृश्य के सोच की महज एक झलक भर थी. यह सभी कार्यक्रम जैम(JAM) ट्रिनिटी नामक क्रांति के लिए पहला कदम साबित हुआ.
जैम(JAM) वाक्य की उत्पत्ति और अवधारणा की शुरुआत अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा किया गया, जो बाद में पीएमजेडीवाई, आधार और मोबाइल को जोड़कर एक सामाजिक क्रांति के रूप में सामने आई. यही वो प्रयास है जिसने भारत में करीब 52.4 करोड़ आधार कार्ड को 73.62 करोड़ खातों के साथ जोड़ने काम किया.
और अब भीम ऐप और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के साथ, जेएएम पूरी तरह से चालू हो गया है. इसके द्वारा एक सुरक्षित और निर्बाध डिजिटल भुगतान का बुनियादी ढांचा बनाया गया है ताकि सभी भारतीय, खासकर गरीब डिजिटल क्रांति के मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें.
जैम(JAM) की उप्लब्धियाँ:
जैम ने एक ऐसी सामाजिक क्रांति को जन्म दिया जिसने सरकार, अर्थव्यवस्था और विशेषकर गरीबों के लिए एक नए द्वार खोल दिए जिससे उन्हें पर्याप्त लाभ प्रदान किये जा सके. इससे गरीबों को सभी प्रकार के वित्तीय सेवाओं तक पहुंच होगी और उन्हें होने वाले किसी भी प्रकार के वित्तीय परेशानी से बचने में सहायक होगी. सरकार को अधिक सब्सिडी के बोझ से निजात मिलेगी और इसके वजह से सरकारी वित्त में सुधार होगा; साथ ही, सरकार को भी वैधता और मजबूती मिलेगी क्योंकि इसके जरिये यह संसाधनों को नागरिकों तक तेजी से और अधिक विश्वसनीय तरीके से स्थानांतरित कर सकता है और जहाँ रिसाव ना के बराबर होगा.
भारत के सन्दर्भ में, यह एक अरब-एक अरब-एक अरब दृष्टिकोण कहलाएगा। अर्थात् एक अरब आधार सँख्या को एक अरब बैंक खातों व एक अरब मोबाईल फोन से जोड़ा गया है. इस तरह से समूचा भारत आर्थिक (वित्त) व डीजीटल मुख्यधारा का हिस्सा बन सकता है.
जैसे अभी जीएसटी (GST) ने एक कर, एक बाजार, एक भारत की रचना की है, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) एवं जैम (JAM) क्रांति सभी भारतीयों का एक समान वित्तीय, आर्थिक व डिजीटल समावेशन कर रही है. कोई भी भारतीय मुख्यधारा से अछूता नहीं रहेगा, यह सामाजिक क्रांति से कम नहीं है.
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