भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कॉल ड्रॉप पर अंकुश लगाने हेतु सख्त दिशानिर्देश जारी किए. इनके तहत यदि कोई ऑपरेटर लगातार 3 तिमाहियों में कॉल ड्रॉप के लिए तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के चेयरमैन आर. एस. शर्मा के अनुसार कॉल ड्रॉप मामले में 1 से 5 लाख रुपये तक के वित्तीय जुर्माने का प्रस्ताव किया है. यह ग्रेडेड जुर्माना प्रणाली है जो किसी नेटवर्क के प्रदर्शन पर निर्भर होगी. ट्राई के अनुसार 'सेवाओं की गुणवत्ता' को लेकर संशोधित विनियमन 1 अक्टूबर 2017 से प्रभावी होगा.
प्रमुख तथ्य-
- यदि कोई ऑपरेटर लगातार तिमाहियों में कॉल ड्रॉप के मानकों को पूरा करने में विफल रहता है तो जुर्माना राशि 1.5 गुना बढ़ जाएगी.
- लगातार तीसरे महीने में यह दोगुनी कर दी जाएगी, अधिकतम जुर्माना राशि 10 लाख रुपये निर्धारित की गई है.
- ट्राई के अनुसार इस संशोधन के बाद किसी एक सर्किल में कॉल ड्रॉप मापने की दर सर्किल स्तर से मोबाइल टावर तक अधिक ग्रैनुलर हो जाएगी.
- 'कॉल ड्रॉप को मापने को लेकर कई मुद्दे हैं औसत से कई चीजें छिप जाती हैं.
- नए नियमों के तहत किसी भी नेटवर्क के अस्थायी मुद्दे पर भी ध्यान दिया जाएगा और साथ ही नेटवर्क के भौगोलिक फैलाव पर भी निगरानी रखी जाएगी.
- संशोधित नियमों के तहत किसी दूरसंचार सर्किल में 90 प्रतिशत मोबाइल साइटें, 90 प्रतिशत समय तक, 98 प्रतिशत तक कॉल्स को सुगम तरीके से संचालित करने में सक्षम होनी चाहिए.
- ट्राई द्वारा जरी किए गए संशोधित नियमों के अनुसार कुल कॉल्स में से दो प्रतिशत से अधिक ड्रॉप की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए.
- किसी खराब स्थिति या दिन के व्यस्त समय में एक दूरसंचार सकर्लि के 90 प्रतिशत मोबाइल टावरों पर कॉल ड्रॉप की दर 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए.
रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी-
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के लिए भी मानक तय किए हैं. इसका प्रयोग दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा कॉल ड्रॉप को छुपाने के लिए किया जाता है.
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