तुर्की में 18 जुलाई 2018 को राष्ट्रव्यापी आपात स्थिति को समाप्त कर दिया गया है. दो वर्ष पहले तख्ता पलट की नाकाम कोशिश के बाद आपात स्थिति लगाई गई थी.
आपातकाल स्थिति के दौरान हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया था या नौकरी से हटा दिया गया था. सरकार ने तीन-तीन महीने आपात काल को सात बार बढ़ाने के बाद अब इसे और आगे न बढ़ाने का फैसला किया गया है.
यह फैसला राष्ट्रपति रिसेप तैयिप एर्दोगन के चुनाव जीतने के दो सप्ताह बाद किया गया है. चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी उम्मीदवारों ने कहा था कि अगर वे चुनाव जीत जाते हैं, तो उनका सबसे पहला काम आपात स्थिति को समाप्त करना होगा.
आपातकाल पर विवाद |
आधिकारिक आंकड़ों और स्वयंसेवी संस्थाओं के एकत्र किए आंकड़ों के अनुसार आपातकाल के दौरान एक लाख सात हज़ार लोगों को सरकारी नौकरियों से निकाला गया है जबकि पचास हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वर्ष 2016 में हुई तख्ता पलटने की कोशिश में सेना के विमानों द्वारा संसद पर बम गिराए गए थे जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. |
तुर्की में आपातकाल क्यों लगाया गया?
• तुर्की ने सैन्य तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद 20 जुलाई 2016 को देश में आपातकाल लगा दिया था.
• इस तख्तापलट की कोशिश के लिए निर्वासित धर्मगुरू फेतुल्लाह गुलेन को जिम्मेदार ठहराया गया था.
• तख्तापलट के दौरान तुर्की की संसद अंकारा पर बमबारी की गई और इस्तांबुल में हिंसक झड़पों में करीब ढाई सौ लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद आपतकाल का ऐलान किया गया था.
• फतेहुल्लाह गुलेन पहले तुर्की में ही रहते थे लेकिन अब अमेरिका में निर्वासित जीवन व्यतीत रहे हैं.
• इस दौरान आपातकाल की समयसीमा सात बार बढ़ाई गई. आमतौर पर आपातकाल केवल तीन माह के लिए लगाया जाता है.
यह भी पढ़ें: यूरोपीय संघ ने गूगल पर 5 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया
Comments
All Comments (0)
Join the conversation