केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए विधेयक पेश करने पर विचार कर रही है. देश के राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए इस मुद्दे को अहम माना जा रहा है.
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा सकता है, जो समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों से उनके इनपुट मांगेगा जिसके बाद आगे का फैसला लिया जायेगा.
कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने हितधारकों के विचार सुनने के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर एक बैठक बुलाई है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने समिति के 31 सांसदों (सदस्य) को 3 जुलाई को होने वाली बैठक के लिए सूचित कर दिया गया है.
Parliamentary Standing Committee on Personnel, Public Grievances, Law and Justice convened a meeting on Uniform Civil Code (UCC) to hear the views of the stakeholders.
— ANI (@ANI) June 29, 2023
BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi-led committee has informed the 31 MPs, who are members of the committee, about…
पीएम मोदी ने किया इसका समर्थन:
पीएम मोदी ने 27 जून को अपन मध्य प्रदेश दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को जल्द लागू करने की बात कही थी. पीएम ने समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए कहा कि 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा?'
विधि आयोग ने मांगे लोगों से सुझाव:
भारत के विधि आयोग 14 जून को जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से समान नागरिक संहिता पर अपने विचार और सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया. विधि आयोग का यह कदम इस मुद्दे की व्यापक तरीके से जांच के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
पीएम मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहा कि अगर यूसीसी लागू हुआ तो आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं का क्या होगा.
उद्धव और 'आप' ने किया समर्थन:
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर मोदी सरकार को उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी का समर्थन मिला है. वैसे ये दल विपक्ष में है लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर केंद्र के सुर में सुर मिला कर चल रहे है. शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र सामना में भी इसका जिक्र किया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि वे न तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हैं और न ही इसका विरोध.
कांग्रेस सहित कई पार्टियां कर रही विरोध:
पीएम मोदी द्वारा इसकी वकालत किये जाने के बाद, कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर कहा कि समान नागरिक संहिता लाने से पहले सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश विविधताओं का देश है. यहीं जेडीयू ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है.
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता का अर्थ यह है कि भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होगा चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के क्यों न हो. अगर यह कानून देश में लागू होता सबके लिए एक तरह के कानून होंगे. इसके तहत शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने जैसे कई मुद्दे पर हर नागरिक के लिए एक सामान नियम होंगे.
क्या है केंद्र सरकार का पक्ष:
यूनिफॉर्म सिविल कोड मुद्दे पर केंद्र सरकार का कहना है कि इसके कार्यान्वयन से व्यक्तिगत कानूनों में सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलेगी और साथ ही सभी नागरिकों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित होगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश करने के पीछे सरकार की मंशा समानता को बढ़ावा देने और भारतीय संविधान में निहित सिद्धांतों को बनाए रखने के उसके प्रयासों को रेखांकित करता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation