संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा 24 मई 2016 को एक्शन ऑन एयर क्वालिटी शीर्षक रिपोर्ट जारी की गयी. यह रिपोर्ट दूसरी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा के दौरान जारी की गयी.
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में वायु की घटती गुणवत्ता के साथ कुछ कदम उठाने आवश्यक हैं इसमें राजनीतिक शक्तियों को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाना आवश्यक है.
रिपोर्ट की विशेषताएं
• विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वर्ष 2008 से 2013 के बीच वैश्विक शहरी प्रदूषण का स्तर 8 प्रतिशत बढ़ा है.
• शहरों में रहने वाले 80 प्रतिशत से अधिक लोग जो प्रदूषण के शिकार हैं उन्हें जीवन, उत्पादकता एवं आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
• रिपोर्ट में खाना पकाने के ईंधन एवं स्टोव, सल्फर की मात्रा में सुधार पाया गया है.
• हालांकि अन्य क्षेत्रों में यह परिणाम कम प्रभावशाली रहा तथा वायु प्रदूषण में कमी भी दर्ज नहीं की गयी.
• स्वच्छ ईंधन तथा प्रदूषण रोकने हेतु वाहनों के लिए कड़े नियम बनाये जाने चाहिए. इससे 90 प्रतिशत तक प्रदूषण उत्सर्जन कम किया जा सकता है. विश्व के केवल 29 प्रतिशत देशों ने यूरो-4 प्रणाली को अपनाया है.
• बीस प्रतिशत से भी कम देशों ने अपशिष्ट जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने हेतु उपाय किये हैं.
• इसके अतिरिक्त सकरात्मक दृष्टीकोण से देखें तो 97 देशों में 85 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या के पास स्वच्छ इंधन उपलब्ध कराये जाने के प्रयास किये गये हैं.
• लगभग 82 देशों में अक्षय उर्जा को प्रोत्साहन देने हेतु कार्ययोजनायें बनाई गयी हैं.
• अगले 15 वर्षों में बीजिंग के वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयासों में भी सकारात्मक परिणाम देखे गये हैं.
• अभी भी 30 लाख से अधिक लोग स्टोव का प्रयोग कर पाने में असमर्थ हैं तथा प्रदूषित तरीकों को अपनाने में बाध्य हैं. सेशेल्स में सभी घरों में एलपीजी उपलब्ध करायी गयी.
• केवल एक चौथाई देशों में वाहन प्रदूषण पर रोक लगाए जाने हेतु उपाय किये गये हिं ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण लगाया जा सके.
• विभिन्न देशों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए इलेक्ट्रिक कारों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी. नॉर्वे में एक तिहाई कारें इलेक्ट्रिक हैं.
• कुछ देशों में अपशिष्ट जलाए जाने पर नियंत्रण हेतु कदम उठाये गये हैं.
• चुनिंदा देशों द्वारा नेशनल एयर क्वालिटी स्टैण्डर्ड भी स्थापित किया गया है. भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता कानून एवं नियम लागू किये गये हैं.
• वर्ष 2005 में कोयले का उपयोग 9 मिलियन से घटकर वर्ष 2013 में 6.44 मिलियन प्रति टन पर आ गया.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा (यूएनईए)
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा (यूएनईए) विश्व की पर्यावरण संबंधी निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था है. यह पर्यावरण से सम्बंधित एवं अन्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों को नियंत्रित करने हेतु कदम उठाने के लिए भी वैश्विक आह्वान कर सकता है.
• महासभा का उद्देश्य पृथ्वी पर जीवनयापन करने के लिए वातावरण को स्वच्छ बनाना एवं मानव स्वास्थ्य के प्रति बेहतर वातावरण तैयार करना है.
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