केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने 26 नवंबर 2016 को ई–पशुहाट पोर्टल (www.epashuhaat.gov.in) का शुभारंभ किया. दुनिया में यह पहली बार है जब प्रजनकों और किसानों को एक दूसरे से जोड़ने और गोजातीय जर्मप्लाज्म की उपलब्धता के बारे में बताने के लिए विशेष रूप से एक पोर्टल बनाया गया है.
पोर्टल के जरिए प्रजनक और किसान प्रजनन करने वाले पशुधन की बिक्री और खरीद कर सकेंगें, पोर्टल पर अपलोड किए गए देश के सभी एजेंसियों और हितधारकों के साथ वीर्य, भ्रूण और जीवित पशुओं समेत जर्मप्लाज के सभी रूपों पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगें.
पोर्टल किसानों को देश की अलग– अलग एजेंसियों के साथ बीमारी मुक्त गुणवत्तापूर्ण गोजातीय जर्मप्लाज्म की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएगा. पोर्टल से उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले जर्मप्लाज्म के प्रसार को बढ़ावा मिलेगा.
पोर्टल का उद्देश्य:
• पशुधन जर्मप्लाज्म और अतिरिक्त संबंधित सेवाओँ के लिए ई– व्यापार बाजार पोर्टल.
• केंद्र, राज्य, सहकारी, दूध संघ और निजी एजेंसियों के साथ किसानों और प्रजनकों को जोड़ना.
• जर्मप्लाज्म की उपलब्धता पर रीयल टाइम प्रामाणिक प्रमाणपत्रित जानकारी प्रदान करना.
पृष्ठभूमि:
दुनिया में भारत की गोजातीय आबादी सबसे अधिक है. 199 मिलियन मवेशियों की आबादी के साथ यहां विश्व मवेशी आबादी के कुल 14% मवेशी रहते हैं. इनमें 105 मिलियन भैंसे हैं. भैंसों की विश्व आबादी का यह 53% है. इनमें से 60 मिलियन मवेशी सीमांत, छोटे और मझोले किसान परिवारों के पास हैं. पशुधन का औसत आकार 2-3 दुधारू पशु प्रति परिवार है.
80% स्वदेशी पशुओं का विवरण उपलब्ध नहीं है और 20% 37 नस्लों से ताल्लुक रखते हैं जिसे राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने मान्यता प्रदान की है. स्वदेशी गोजातीय नस्लें मजबूत, गर्मी सहने वाली, रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरीं और जलवायु संबंधि चरम परिस्थितियों में जीवित रहने और कम आदानों के साथ जीवित रहने के गुणों से भरी होती हैं.
पोर्टल 'किसान से किसान' और 'किसान से संस्थान' के बीच संबंध स्थापित करने में मदद करेगा. इसलिए, यह बिचौलियों की भागीदारी को कम करेगा और एक तुलनात्मक फार्म नेटवर्क बनाएगा जो किसानों को स्थानीय जानकारी और संसाधनों के आदान– प्रदान की सुविधा देगा.
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