संयुक्त राष्ट्र संघ की संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संस्था (यूएनएफसीसीसी) ने काशी वन्य जीव प्रभाग की हरियाली को कार्बन क्रेडिट देने की घोषणा की. कार्बन उत्सर्जन को रोकने पर वन प्रभाग को इस उपलब्धि के लिए बड़ी धनराशि प्राप्त होगी.
काशी स्थित जयमोहनी रेंज के सात एवं नौगढ़ रेंज के तीन इलाकों में कार्बन क्रेडिट मिलना काशी वन्य जीव प्रभाग के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
जायका योजना से उपलब्धि-
काशी वन्य जीव प्रभाव में जायका योजना की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी, जिसे 2017 तक चलाया जाना तय था. किसानों को समृद्धि प्रदान करने वाली इस योजना के तहत 95 समितियां गठित की गईं थीं. ये समितियां ईडीसी यानी कि इको डेवलपमेंट कमेटी व ज्वाइंट फॉरेस्ट डेवलपमेंट कमेटी के अंतर्गत काम शुरू की थीं. योजना के अंतर्गत जंगल के किनारे बसे गांवों में रहने वालों ग्रामीणों को रोजगार देने के लिहाज से सुअर पालन, टमाटर की खेती, मछली पालन, प्लांटेशन आदि कार्य कराए गए.
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कार्बन क्रेडिट के बारे में
जब कोई भी देश अपने पर्यावरण परिवेश में हानिकारक गैसों की उत्सर्जन क्षमता को कम करता है तो उसे विश्व के सम्मेलन द्वारा उस देश को कार्बन क्रेडिट दिया जाता है. कार्बन क्रेडिट का अर्थ कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास है जिसे प्रोत्साहित करने के लिए धन से जोड़ दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संस्था (यूएनएफसीसीसी) मापदंडों के अनुरूप कार्बन उत्सर्जन की रेटिंग निर्धारित करती है. इसके सापेक्ष संबंधित संस्था द्वारा कार्बन का उत्सर्जन कम किया गया तो दोनों के बीच के अंतर को कार्बन क्रेडिट कहते हैं.
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