नोएडा में यूपी का पहला एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर का उद्घाटन, जानें खासियत

Nov 18, 2021, 16:37 IST

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने हेतु, वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर (एपीसीटी) के प्रोटोटाइप को स्वदेशी रूप से विकसित और तैयार किया है. 

air pollution control tower
air pollution control tower

उत्तर प्रदेश (यूपी) के पहले एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर (एपीसीटी) शहरवासियों को स्माग से राहत देने के लिए तैयार है. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने 17 नवंबर 2021 को भेल (BHEL) द्वारा घरेलू स्तर पर विकसित यूपी के पहले वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर (Air Pollution Control Tower) के प्रोटोटाइप का उद्घाटन किया.

इसे नोएडा के सेक्टर-16 ए में शुरू किया गया है. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने हेतु, वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर (एपीसीटी) के प्रोटोटाइप को स्वदेशी रूप से विकसित और तैयार किया है. टावर की क्षमता अपने एक किलोमीटर के दायरे में हवा को साफ रखने की है.

400 वर्गमीटर जमीन पर स्थापित किया गया

नोएडा क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर डीएनडी के पास सेक्टर-16 ए में ग्रीन बेल्ट पर लगभग 400 वर्गमीटर जमीन पर स्थापित किया गया है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे एवं डीएनडी फ्लाईवे शहर का मुख्य मार्ग है. इस मार्ग पर यातायात का घनत्व अधिक होता है. इस कारण वाहनों से प्रदूषण का उत्सर्जन अत्यधिक होता है.

वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर

नोएडा एनसीआर में हरेक साल ठंड बढ़ते वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है. इसके कारण जनमानस को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है. सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड इत्यादि मिलकर वायु को प्रदूषित करते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर की स्थापना जरूरी है.

वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर

वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर बड़े पैमाने पर हवा को साफ करने के लिए डिजाइन की गई संरचना है. प्रदूषित हवा के टावर में प्रवेश करने के बाद इसे वातावरण में पुनः छोड़ने से पहले कई परतों द्वारा साफ किया जाता है. वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर को बड़े पैमाने पर वायु शोधक के रूप में उपयोग किया जा सकेगा.

यह टावर कहां तैयार किया गया?

यह टावर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के हरिद्वार प्लांट में तैयार किया गया है. टावर को भेल ने स्वयं के खर्चे पर स्थापित किया है. इसके संचालन में हर साल लगभग 37 लाख रुपये का खर्च आने का अनुमान है. नोएडा प्राधिकरण इस खर्चे का 50 प्रतिशत वहन करेगा.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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