रिलायंस इंफ्रास्ट्रकचर लि. के नियंत्रण वाली रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लि. (आरडीइएल) ने फरवरी 2017 में अमेरिकी नौसेना के साथ उनके सातवें बेड़े के जहाजों के रखरखाव के लिए मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (एमएसआरए) पर हस्ताक्षर किया है.
गुजरात के पीपावॉव में स्थित रिलायंस के शिपयार्ड को जनवरी 2017 में अमेरिकी नौसेना के लिए जटिल मरम्मत और प्रत्यावर्तन सेवा के योग्य ठेकेदार करार दिया गया है.
मेरिकी नेवी का सातवां बेड़ा आकार में सबसे बड़ा है तथा यह पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर में तैनात है. इस बेड़े में लगभग 50 से 70 पोत और पनडुब्बी, 140 एयरक्राफ्ट तथा करीब 20 हजार सैनिक तैनात हैं.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के नियंत्रण वाली आरडीईएल ने बताया है कि उसने अमेरिकी नेवी के साथ मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (एमएसआरए) पर हस्ताक्षर किये हैं.
इस अनुबंध से अनुमान है कि आरडीईएल को करीब 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार मिलेगा.
इससे पहले जनवरी 2017 में समूह की ही कंपनी रिलायंस शिपयार्ड को अमेरिकी नेवी की ओर से अनुमति प्राप्त कांट्रेक्टर के तौर पर योग्य माना गया था.
गुजरात के पीपावाव में रिलायंस शिपयार्ड भारत में एक मात्र मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट सर्टिफाइड कांट्रेक्टर के तौर पर प्रमाणित किया गया.
कंपनी को परिचालन से होने वाली आमदनी दोगुने से भी बढ़कर 122.7 करोड़ रुपए हो गया जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 51.4 करोड़ रुपए था.
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