अमेरिकी सीनेट ने 20 मई 2020 को एक बिल पारित किया है जिसके तहत चीनी कंपनियों को तब तक अमेरिकी प्रतिभूति विनिमय से हटाने का प्रयास किया गया है जब तक कि वे कंपनियां ऑडिट और नियमों के अमेरिकी मानकों का पालन नहीं करती हैं.
रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कैनेडी और डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस वान होलेन द्वारा संयुक्त रूप से पेश किए गए इस बिल को सर्वसम्मति से सीनेट में पारित किया गया था. यह विधेयक अब प्रतिनिधि सभा में पेश किया जाएगा. यह बिल प्रतिनिधि सभा में अवश्य पारित होना चाहिए और फिर एक कानून बनने के लिए इस बिल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर होने चाहिए.
अमेरिकी कानून: उद्देश्य
यह कानून, "होल्डिंग फॉरेन कंपनीज अकाउंटेबल एक्ट" विभिन्न कंपनियों की प्रतिभूतियों को किसी भी अमेरिकी प्रतिभूतिय एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से रोकती है, अगर वे लगातार तीन साल तक अमेरिकी पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड के ऑडिट का पालन करने में विफल रहे हैं.
मुख्य विशेषताएं
• नए विधेयक में सार्वजनिक कंपनियों को यह खुलासा करने की आवश्यकता है कि वे विदेशी सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हैं.
• यह बिल हालांकि सभी देशों की कंपनियों पर लागू होगा, लेकिन इसका उद्देश्य चीनी कंपनियों को अपना निशाना बनाना है. डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस वान हॉलन ने इस बिल पर विस्तार से चर्चा करते हुए यह कहा कि चीनी कंपनियों ने अमेरिकी रिपोर्टिंग मानकों की अवहेलना की है और अपने निवेशकों को बहुत लंबे समय तक गुमराह किया है.
• रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कैनेडी ने दावा किया कि चीन अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए किसी भी रास्ते पर चल रहा है और हर मोड़ पर धोखा दे रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बहुत सारे बाजार हैं जो धोखेबाजों के लिए खुले हैं, लेकिन अमेरिका ऐसे बाजारों में से एक बनने का जोखिम नहीं उठा सकता.
प्रभाव
अगर यह बिल एक कानून बन जाता है, तो यह अलीबाबा और बाइडू जैसी प्रमुख चीनी कंपनियों को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने से रोक देगा. सीनेट में यह बिल (विधेयक) पारित होने के बाद, चीनी ई-कॉमर्स दिग्गज अलीबाबा के शेयरों में अमेरिका के सूचीबद्ध शेयरों से 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई.
पृष्ठभूमि
नया बिल सीनेट द्वारा ऐसे समय में पारित किया गया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कोरोना वायरस से चीन के निपटने के तरीकों की गहन आलोचना की जा रही है. अमेरिका और चीन के बीच तनाव इस समय अपने चरम पर है. ट्रम्प प्रशासन जोर देकर कहता है कि कोविड 19 महामारी के शुरुआती चरणों में चीन ने इस प्रकोप से निपटने में लापरवाही बरती और दुनिया को समय रहते चेतावनी जारी नहीं की जिसके कारण कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी के तौर पर पूरी दुनिया में फ़ैल गया है. इस महामारी ने संयुक्त राज्य में अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है. चीन ने इन सभी आरोपों का बार-बार खंडन किया है.
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