वॉएजर-2 सौरमंडल के छोर तक पहुंचा, जानें पूरी जानकारी

Dec 13, 2018, 10:53 IST

वॉएजर-2 एक अमेरिकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान है जिसे वॉएजर-1 के बाद 20 अगस्त 1977 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था.

Voyager 2 second spacecraft in history to reach interstellar space
Voyager 2 second spacecraft in history to reach interstellar space

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का वॉएजर-2 (Voyager 2) सौरमंडल के आखिरी छोर पर पहुंचने वाला इतिहास का दूसरा अंतिरक्ष यान बन गया है. नासा द्वारा जारी जानकारी के अनुसार 41 वर्ष पहले लॉन्च किया गया यह यान सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र (हेलियोस्फेयर) से बाहर पहुंच गया है.

इससे पूर्व वर्ष 2012 में वॉएजर-1 ने इस सीमा को पार किया था. हालांकि दोनों यान अभी सौरमंडल के अंदर ही हैं और अभी निकट भविष्य में ये इससे बाहर नहीं जाएंगे. यान के विभिन्न उपकरणों से मिले डाटा के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि इसने पांच नवंबर को हेलियोस्फेयर के आखिरी छोर को पार किया लेकिन इस अध्ययन के बाद ही इस जानकारी को हाल ही में दिसंबर में जारी किया गया है.

प्रमुख तथ्य

•    नासा द्वारा जारी जानकारी में कहा गया है कि वॉएजर-2 अभी धरती से 18 अरब किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर है.

•    इससे आने वाले संकेत प्रकाश की गति से चलते हैं, इसलिए उन्हें यान से धरती तक पहुंचने में करीब 16.5 घंटे का समय लगता है.

•    वैज्ञानिकों ने बताया कि वॉएजर-1 और 2 ने अलग-अलग समय और जगह से हेलियोस्फेयर को पार किया है, इसलिए दोनों से मिलने वाली जानकारियां अलग हैं.

•    वॉएजर-2 एकमात्र अंतरिक्ष यान है जो सभी चार विशाल ग्रहों - बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून की यात्रा कर चुका है.

•    वॉएजर-2 को 20 अगस्त 1977 को लॉन्च किया गया था, जबकि वॉएजर-1 को 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था.

•    वॉएजर-2 नासा का सबसे लंबा चलने वाला मिशन है.

हेलियोस्फेयर क्या होता है?

अंतरिक्ष यान पर लगे विभिन्न उपकरणों से प्राप्त डेटा का आकलन कर मिशन के वैज्ञानिकों ने यह निर्धारित किया कि इस मिशन ने 5 नवंबर को हेलियोस्फेयर (heliosphere) के आखिरी छोर को पार किया है. यह हैलियोपाउज़ नामक ऐसा स्थान है जहाँ कमज़ोर, गर्म सौर हवा तारों के बीच के ठंडे और घने माध्यम से मिलती है. इसे सौरमंडल का छोर भी कहा जाता है. सूर्य से निकलने वाली चुंबकीय रेंज एक ऐसे गैसीय वातावरण का निर्माण करती है जो ग्रहों की कक्षाओं से बहुत दूर तक फैली हुई हो. यह चुंबकीय क्षेत्र ही हेलियोस्फेयर है जो एक लंबे वात शंकु के आकार का होता है तथा तारों के बीच अंतरिक्ष में सूर्य के साथ-साथ गति करता है. वैज्ञानिकों द्वारा वॉएजर-2 पर लगे उपकरणों के माध्यम से यह पुष्टि की गई है.



वॉएजर-2 के बारे में जानकारी

•    वॉएजर-2 एक अमेरिकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान है जिसे वॉएजर-1 के बाद 20 अगस्त 1977 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था.

•    यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वॉएजर-1 के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है. वॉएजर-2 की गति 57,890 किलोमीटर प्रतिघंटा है.

•    इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना.

•    इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वॉएजर-1 के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था. किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था.

•    इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है. यह विशेष स्थिति प्रत्येक 176 वर्ष पश्चात ही आती है. इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
... Read More

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News