पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता जयंत मित्रा ने 7 फरवरी 2017 को अपने पद से त्याग पत्र दे दिया. महाधिवक्ता जयंत ने अपना त्याग पत्र राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को भेज दिया है. उनके साथ ही अतिरिक्त महाधिवक्ता ने भी पद छोड़ दिया है.
जयंत मित्रा के अनुसार उन्होंने अपना त्याग पत्र 7 फरवरी 2017 को राज्यपाल को भेज दिया है. जयंत मित्रा के अनुसार कुछ मुद्दों को लेकर ममता बनर्जी सरकार के साथ उनका मतभेद था. इसी वजह से उन्होंने त्याग पत्र दे दिया है.
जयंत मित्रा के बारे में-
• जयंत मित्रा ने 16 दिसंबर 2014 को पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता का पदभार संभाल.
• दो वर्ष दो महीने के इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने नारद मामला, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सभा को अनुमित देने के मामले समेत कई महत्वपूर्ण केसों को लेकर अदालत में राज्य का पक्ष पेश किया.
• जयंत मित्रा के साथ ही अतिरिक्त महाधिवक्ता लक्ष्मी गुप्ता ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
• गत वर्ष जून 2016 में भी जयंत मित्रा ने इस्तीफा दिया था लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें दोबारा एडवोकेट जनरल नियुक्त कर दिया.
• जयंत मित्रा को पहली बार यह जिम्मेदारी 2014 में सौंपी गई.
• ममता बनर्जी प्रशासन को इससे पहले इस पद के लिए कई दिग्गज कानूनविदों को मनाना मुश्किल हो रहा था.
• जयंत मित्रा के पहले बिमल चटर्जी इस पद पर थे. जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से एडवोकेट जनरल के पद से इस्तीफा दिया था.
• सरकार से मतभेत के कारण पिछले दिनों पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट के लोक अभियोजक मंजित सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं.
• पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांगे्रस के साढ़े पांच साल के शासनकाल के दौरान अब तक तीन महाधिवक्ता अपना पद छोड़ चुके हैं.
सरकार के फैसलों पर कानूनी जांच-
• पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के कार्य काल में उसे कानूनी मामलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से कई मौकों पर राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी किए जा चुके हैं.
• सिंगूर जमीन बिल, पार्क स्ट्रीट, कामधुनि रेप केस, इमामों को वजीफा देने जैसे कदमों को राज्य में अदालतों की कानूनी जांच से गुजरना पड़ा है.
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