विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फाइजर (Pfizer) और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे दी है. कोरोना महामारी फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से किसी वैक्सीन को पहली बार मान्यता दी गई है.
डब्ल्यूएचओ के इस फैसले से विश्वभर के देशों के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए रास्ते खुल गए हैं. बता दें कि फाइजर की वैक्सीन कई देशों में पहले से इस्तेमाल में है. मंजूरी देने के बाद डब्लूएचओ ने कहा कि वह विश्वभर में स्थित अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए वहां के देशों से इस वैक्सीन के लाभ के बारे में बात करेगा.
फाइजर की वैक्सीन
फाइजर की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की हरी झंडी मिलने का मतलब है कि अब गरीब देशों को जल्द ही यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पहले से उपलब्ध कोरोना के खुराक मिल सकती है. दरअसल, हर देश के पास अपनी एक ड्रग रेग्युलेटरी एजेंसी है, जो किसी भी कोरोना वैक्सीन के लिए अपनी मंजूरी देने के बाद ही उसका इस्तेमाल करेगी.
डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में क्या कहा?
डब्ल्यूएचओ ने अपने एक बयान में कहा कि फाइजर-बायोटेक वैक्सीन पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे कोरोना महामारी के आने के बाद संगठन की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी गई है. डब्ल्यूएचओ की असिस्टेंट डायरेक्टर मैरिएंगेला सिमाओ ने कहा कि कोरोना वायरस वैक्सीन की वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में ये एक बेहद ही सकारात्मक कदम है.
फाइजर वैक्सीन की समीक्षा
डब्लूएचओ ने फाइजर वैक्सीन की समीक्षा के बाद कहा कि इससे सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए अवश्य ही मानदंड मिलना चाहिए. इस वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद कोरोना से मौत की संभावना भी कम हो जाती है.
कई देशों ने फाइजर वैक्सीन को दी मंजूरी
फाइजर की कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटेन ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. इसके बाद अमेरिका ने भी इस वैक्सीन को अपनी इजाजत दे दी. इसके बाद यूरोपीय यूनियन, इजरायल, सऊदी अरब समेत दुनिया के कई देशों ने वैक्सीन के इमरजेंसी प्रयोग को मंजूरी दे दी है.
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