नहीं रहे दिग्गज कानूनविद फली एस नरीमन, कभी इंदिरा के फैसले के खिलाफ दिया था इस्तीफा

प्रख्यात न्यायविद् और वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन का निधन हो गया. वह 95 साल के थे. फली एस नरीमन के पास एक वकील के तौर पर 70 साल से ज्यादा का अनुभव था. नरीमन ने अपने करियर की शुरुआत नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक वकील के तौर पर की थी. चलिये जानें उनके बारें.

Feb 21, 2024, 13:37 IST
मौलिक अधिकारों के रक्षक थे नरीमन
मौलिक अधिकारों के रक्षक थे नरीमन

Fali S Nariman: प्रख्यात न्यायविद् और वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन का निधन हो गया. वह 95 साल के थे. फली एस नरीमन के पास एक वकील के तौर पर 70 साल से ज्यादा का अनुभव था . उनके बेटे रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट के जज थे. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. 

फली 'कॉलेजियम प्रणाली' के उदय के लिए महत्वपूर्ण एससी एओआर एसोसिएशन मामले से भी जुड़े हुए थे. उन्होंने जून 1975 में इंदिरा गांधी के फैसले के खिलाफ जाकर भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया था. 

उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी मामले में यूनियन कार्बाइड का प्रतिनिधित्व किया और अदालत के बाहर पीड़ितों और संगठन के बीच 470 मिलियन डॉलर का समझौता कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

पीएम मोदी ने जताया शोक:

नरीमन के निधन पर पीएम मोदी ने शोक प्रकट किया है. उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ''श्री फली नरीमन जी सबसे उत्कृष्ट कानूनी दिमाग और बुद्धिजीवियों में से थे. उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय सुलभ कराने के लिए समर्पित कर दिया. उनके निधन से मुझे दुख हुआ है. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. उसकी आत्मा को शांति मिलें.''

पीएम मोदी के अतिरिक्त, सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक लिविंग लीजेंड थे. उनको श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस नेता और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने उन्हें भारत का महान सपूत बताया.

फली एस नरीमन का करियर:

नरीमन ने अपने करियर की शुरुआत नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक वकील के तौर पर की थी. नरीमन का जन्म 10 जनवरी, 1929 को रंगून में हुआ था.    

उन्हें 1961 में एक वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया गया था. उन्हें मई 1972 में देश का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था. 

जून 1975 में उन्होंने देश में आपातकाल लागू होने के बाद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया था. वह 19९१ से साल 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रहे थे. 

उन्हें जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. वह 1999-2005 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य थे. 

मौलिक अधिकारों के रक्षक थे नरीमन:

नरीमन की कानूनी कुशलता ऐतिहासिक थी. लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह कोर्ट में ऐसी दलीले पेश करते थे की लोग उनके मुरीद हो जाते थे. उन्होंने संविधान के मूलभूत ढांचे को बनाये रखने में अहम भूमिका निभाई थी.    
अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार, निजता का अधिकार, और समानता के अधिकार जैसे मुद्दों पर उनके बेबाक तर्कों ने इन पहलुओं को फिर से नई पहचान दी थी. 

99वें संविधान संशोधन अधिनियम:

जजों की नियुक्ति से जुड़े एनजेसी एक्ट पर उनकी दलीलों ने लोगों को काफी प्रभावित किया था. एनजेसी एक्ट जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका को हस्तक्षेप का अधिकार दिया था हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के फैसले में यह संशोधन असंवैधानिक करार कर दिया था.     

अनुच्छेद 370 पर क्या थी उनकी राय:

नागरिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के कट्टर समर्थक, नरीमन एक बेहद प्रसिद्ध पब्लिक फिगर थे. उनकी न्यायिक विकास के बारे में आलोचनात्मक राय बहुत मायने रखती थी. अनुच्छेद 370 मामले में हालिया फैसले को लेकर नरीमन ने आलोचना व्यक्त की थी. 

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