Caste census in Bihar: बिहार में जातिगत जनगणना (Caste census in Bihar) को लेकर रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 01 जून 2022 को हुई सर्वदलीय बैठक में जातिगत जनगणना को मंजूरी दी गई.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित सभी राजनीतिक दलों ने हाल ही में सर्वसम्मति से निकट भविष्य में जातिगत जनणना का फैसला लिया. बिहार के पटना में हुई सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा किया है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराएगी.
सर्वदलीय बैठक: एक नजर में
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना में 01 जून 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक की. बैठक में सभी की सहमति से जातिगत जनगणना करने पर फैसला लिया गया है. फैसला के दौरान विपक्षी नेता तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या कहा?
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद उनसे राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराने का निवेदन किया गया था. बता दें यह काम राज्य सरकार को राज्य स्तर पर करना होगा. उन्होंने कहा कि बैठक में उपस्थित सभी दलों में जाति जनगणना कराने को लेकर फैसला लिया गया है.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस मौके पर कहा कि बिहार एक पिछड़ा एवं ग़रीब राज्य है. उन्होंने कहा कि इसमें मदद के लिए केंद्र सरकार को आर्थिक रूप से सहयोग करना चाहिए.
राजनीतीक दलों के नेताओं ने लिया हिस्सा
मुख्यमंत्री नीतीश द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में नौ राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराने को लेकर सर्वसहमति से फैसला लिया गया है.
जातिगत जनगणना का मकसद
जातिगत जनगणना का मुख्य उद्देश्य लोगों को आगे बढ़ाना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम इसका नाम, जाति आधारित गणना देने जा रहे हैं. इसमें सभी संप्रदाय एवं सभी जाति की गणना होगी. इस गणना से यह भी पता लगेगा कि कौन गरीब है तथा कौन अमीर है.
जाति आधारित जनगणना क्या है ?
भारत की स्वतंत्रता के बाद साल 1951 से लेकर साल 2011 तक प्रत्येक 10 साल में देश में जनगणना होती रही है. इस जनगणना में केवल दलितों एवं आदिवासियों की ही आबादी की गिनती की जाती है, बाकी किसी जाति का अलग से रिकॉर्ड नहीं तैयार किया जाता है. बता दें अब बहुत सारी राजनीतिक पार्टियां जनगणना में जातियों के आधार पर भी आबादी की गिनती करने की मांग कर रही हैं. जाति आधारित जनगणना की मांग के पीछे का मुख्य वजह देश में आरक्षण की व्यवस्था है. जाति आधारित जनगणना नहीं होने के कारण से इस समय जातियों की संख्या का कोई भी प्रामाणिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
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