संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा 1 दिसंबर 2016 को योग को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया गया.
योग को यूनेस्को की सूची में भारत की देन के रूप में शामिल किया गया. यूनेस्को में रुचिरा कांबोज ने भारत का प्रतिनिधित्व किया.
यूनेस्को के अनुसार अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की श्रेणी में मौखिक परंपराओं और अभिव्यक्तियों, प्रदर्शन कला, सामाजिक रीति-रिवाज, उत्सव, ज्ञान आदि को शामिल किया जाता है. योग को खेल की श्रेणी में रखा जाता था इसलिए इसे पहले सूची में शामिल नहीं किया गया.
इस घोषणा में योग को भारतीय सभ्यता का प्राचीन अभ्यास बताया गया है. इस प्रस्ताव को 24 सदसीय अंतर सरकारी समिति के सभी सदस्यों द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी.
इस सूची में शामिल किये गये अन्य नये वर्णन हैं – रूंबा डांस (क्यूबा), बेल्जियन भालू (बेल्जियम), अल्मेज्मार (सऊदी अरब), कुरेसी (कजाखिस्तान), खिद्र एलियस (इराक), होको, याताई फेस्टिवल (जापान), मोमोरिया (ग्रीस), सहकारी समितियों में साझा हितों के आयोजन की प्रथा (जर्मनी), फ्लैटब्रेड बनाना एवं शेयर करना (अज़रबैजान, ईरान, कजाखिस्तान),
जेजू संस्कृति (दक्षिण कोरिया), गडा सिस्टम (इथोपिया), तहतीब (मिस्र), मेरेंगुए नृत्य एवं गायन (डोमिनिकन रिपब्लिक), वेलेंशिया फेलास (स्पेन), सोलर टर्म (चीन), मंगल शोभाजात्रा (बांग्लादेश).
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में भारत का योगदान
• कूदियत्तम: केरल संस्कृत थिएटर
• मुदियेत: केरल का थियेटर अनुष्ठान
• वेद मंत्र उच्चारण
• कालबेलिया: राजस्थान के लोक गीत एवं नृत्य
• रामलीला: रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन
• संस्कृतन: मणिपुर के गायन, ढोल और नृत्य अनुष्ठान.
• रम्मन: हिमालय क्षेत्र का धार्मिक पर्व
• छऊ: पूर्वी भारतीय राज्यों का पारंपरिक नृत्य
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