अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2 जून 2014 को 2030 तक मौजूदा बिजली संयंत्रों से होने वाले कार्बन प्रदूषण में 30 फीसदी की कटौती के लिए नए नियमों की घोषणा की.
इस घोषणा में 2005 के स्तर से कार्बन डाइऑक्साइट के उत्सर्जन में 30 फीसदी की कटौती करना भी शामिल है. इन नियमों की घोषणा पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) ने की. इसने 2030 तक प्रदूषण कण(पार्टिकल), नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइट में सह लाभ के तौर पर 25 फीसदी से अधिक की कटौती की भी घोषणा की.
नए नियम ऊर्जा क्षेत्र को बदल सकते हैं. फिलहाल बिजली के लिए अमेरिकी सरकार की कोयले पर 38 फीसदी निर्भरता है.
इसके अलावा, नए नियम राज्यों को अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कई विकल्प मुहैया कराते हैं. राज्य अपने बिजली संयंत्रों के गर्मी की दरों में सुधार कर सकते हैं, कोयले संयंत्रों को बदलने के लिए अधिक प्राकृतिक गैस संयंत्रों का उपयोग कर सकते हैं, सौर या नाभिकीय ऊर्जा जैसे शून्य कार्बन ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा सकते हैं और ऊर्जा दक्षता में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
विश्लेषण
अमेरिकी सरकार द्वारा निर्धारित यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है क्योंकि 2005 के आधारभूत स्तर से 2013 में उत्सर्जन में 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई. ऐसा आंशिक रूप से इसलिए भी संभव हुआ क्योंकि प्राकृतिक गैस वाले संयंत्रों के लिए कोयले संयंत्रों को बंद किया गया.
प्रदूषण को कम करने के लिए नए लक्ष्य अमेरिका के नागरिकों के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे. ईपीए के मुताबिक कण प्रदूषण को कम करने और ओजोन दोनों मिलकर 2030 तक बच्चों में 150000 अस्थमा के अटैक और 3300 दिल के दौरे को रोक सकते हैं.
कार्बन उत्सर्जन नीति से भारत को भी लाभ होगा
ओबामा प्रसाशन द्वारा घोषित नए महत्वाकांक्षी कार्बन उत्सर्जन मानक कम–कार्बन विकास रणनीतियों पर भारत–अमेरिकी सहयोग की शुरुआत करा सकते हैं.
नए कम कार्बन विकास रणनीतियां अन्य विकासशील देशों के लिए नए मानकों का निर्माण कर सकती हैं.
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