भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने एक रिचार्जेबल मैग्नीशियम धातु बैटरी का निर्माण किया. इस खोज की घोषणा 3 सितंबर 2014 को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), हैदराबाद के अंतर्गत आईआईसीटी द्वारा की गई.
इस रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी का निर्माण वत्सला रानी के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किया गया. यह बैटरी लेड एसिड बैटरी का एक विकल्प है इसके कई फायदे हैं जैसे यह पर्यावरण अनुकूल है और पारंपरिक लेड एसिड बैटरी की तुलना में इसकी लागत कम है.
मैग्नीशियम बैटरी के बारे में
• नई बैटरी पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करती है जैसे संशोधित प्राकृतिक ग्रेफाइट (कैथोड), मैग्नीशियम (एनोड), और आयनिक तरल इलेक्ट्रोलाइट. ये सुरक्षित है और बहुतायत में उपलब्ध है.
• यह बैटरी पर्यावरण सजग रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी के रूप में जहरीली लेड एसिड बैटरी का विकल्प है.
• प्राकृतिक ग्रेफाइट कैथोड साथ नई बैटरी सुरक्षित, कम लागत और यूपीएस और इनवर्टर जैसे स्थिर उपयोगों के लिए अच्छी है.
• डिस्चार्ज के दौरान एनोड के एमजी आयन्स कैथोड के ग्रेफाइट परतों में मिल जाते हैं और चार्जिंग के दौरान वे एनोड पर वापस लौट आते हैं.
• इलेक्ट्रोलाइट के रूप में इस्तेमाल आयनिक तरल खुद से तैयार किया गया था. इस तरल को स्थिर और सामान्य तापमान पर गैर संक्षारक पाया गया.
• इलेक्ट्रोड सामग्री पुन: प्रयोगी और बायोडिग्रेडेबल है.
• बैटरी का जीवन चक्र 800-900 चक्र के लिए स्थापित किया गया है और बैटरी का समय 2-3 वर्ष होने का अनुमान है.
लेड एसिड बैटरी के बारे में
लेड यौगिक अत्यंत विषाक्त होते हैं और इन यौगिकों की छोटी मात्रा में लंबी अवधि का अनावरण भी बच्चों में मस्तिष्क और गुर्दे की क्षति, सुनाई देने की समस्या, और समझने की समस्या पैदा कर सकता है. लेड एसिड बैटरी का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और लेड उत्सर्जन की रोकथाम की जा सकती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation