आरबीआई ने पेमेंट्स बैंक्स और स्मॉल बैंक्स के लाइसेंस के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया

May 11, 2016, 17:15 IST

ये दोनों ही प्रकार के बैंकों को कम लागत पर प्रौद्योगिकी समाधान अपनाकर मूल्य संवर्धन (value adding) द्वारा वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के समान उद्देश्य के साथ बनाया जाएगा.

17 जुलाई 2014 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पेमेंट्स बैंक्स और स्मॉल बैंक्स के लाइसेंस के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया. ये दोनों ही प्रकार के बैंकों को कम लागत पर प्रौद्योगिकी समाधान अपनाकर मूल्य संवर्धन (value adding) द्वारा वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के समान उद्देश्य के साथ बनाया जाएगा.

आरबीआई द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का मसौदा

• स्मॉल बैंक जमा और ऋण देने जैसी बैंकिंग की पूरी सेवा देंगे लेकिन इनके संचालन का दायरा सीमित होगा.

• पेमेंट्स बैंक उत्पादों की सीमित रेंज मुहैया कराएंगे जैसे मांग जमाओं और कोष के प्रेषण की स्वीकृति लेकिन इसकी शाखाओं का नेटवर्क बहुत व्यापक होगा खासकर सूदूर इलाकों में. ऐसा या तो इनके खुद की शाखा के नेटवर्क के जरिए किया जाएगा या व्यापार सह–संबंधी (बीसी) या दूसरों द्वारा दिए गए नेटवर्क के माध्यम से.

• पेमेंट्स बैंक की स्थापना में शामिल होने वालों में हैं– मौजूदा नॉन– बैंक प्री–पेड इंस्ट्रूमेंट इश्यूअर (पीपीआई), नॉन– बैंकिंग फाइनैंस कंपनीज (एनबीएफसी), कॉरपोरेट बीसी, मोबाइल टेलिफोन कंपनियां, सुपर–मार्केट श्रृंखला, कंपनियां, रीयल क्षेत्र के सहकारी समितियां और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं.

• स्मॉल बैंक स्थापित करने के लिए योग्य निकायों में शामिल होंगे बैंकिंग और वित्त में दस वर्षों के अनुभव वाले निवासी व्यक्ति, कंपनियां और सोसायटियां, एनबीएफसी, माइक्रो फाइनैंस संस्थान और स्थानीय क्षेत्र के बैंक.

• पेमेंट्स बैंकों और स्मॉल बैंकों को बढ़ावा देने के लिए योग्य होने के लिए योग्य निकायों को फिट और उचित होना चाहिए.

• आरबीआई अच्छी साख और अखंडता, वित्तीय स्थिति और अपने व्यापार को सफलतापूर्वक चलाने के कम–से–कम पांच वर्षों का रिकॉर्ड के आधार पर आवेदकों को फिट और उचित का दर्जा प्रदान करेगी.

• पेमेंट्स बैंक्स और स्मॉल बैंक्स दोनों ही के लिए न्यूनतम भुगतान पूंजी आवश्यकता (paid up capital requirement) 100 करोड़ रुपए रखा गया है. इसमें से प्रोमोटरों का आरंभिक न्यूनतम योगदान 40 फीसदी होगा और इसे पांच वर्षों की अवधि के लिए लॉक किया जाएगा.

• प्रोमोटरों की हिस्सेदारी को बैंक के व्यापार शुरु होने की तारीख से तीन वर्ष के भीतर 40 फीसदी, 10 वर्षों की अवधि के भीतर 30 फीसदी और 12 वर्षों के भीतर 26 फीसदी तक कम किया जाना चाहिए.
स्थानीय स्मॉल बैंक्स एवं पेमेंट्स बैंक्स की स्थापना का उद्देश्य

• ये बैंक किसानों और व्यापारों को छोटे टिकट ऋण एवं जमा और ऋण जैसे बुनियादी बैंकिंग उत्पाद मुहैया करायेंगे.

• ये समाज के उपेक्षित वर्ग जिसमें प्रवासी मजदूर भी आते हैं, को धन जमा करने और निकालने की सुविधा प्रदान करेगा.

• ये बैंक मांग जमा एवं पैसे को निकालने जैसे सीमित रेंज के उत्पादों की सुविधा भी प्रदान करेगें.
अंतिम दिशानिर्देश सुझावों के प्राप्त होने की प्रक्रिया के पूरा हो जाने के बाद जारी किया जाएगा. आरबीआई दिशानिर्देशों के मसौदे पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद पेमेंट और स्मॉल बैंकों की स्थापना के लिए आवेदन आमंत्रित करना शुरु करेगा.

पृष्ठभूमि

दिशानिर्देशों को जारी करना फरवरी 2013 में निजी क्षेत्र में नए बैकों को लाइसेंस दिए जाने संबंधी जारी किए गए दिशानिर्देशों का फॉलोअप है. 2 अप्रैल 2014 को आरबीआई ने बंधन और आईडीएफसी लिमिटेड को 18 माह की अवधि के भीतर निजी क्षेत्र में नए बैंकों की स्थापना करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी.

बंधन और आईडीएफसी लिमिटेड को सैद्धांतिक मंजूरी देते समय आरबीआई ने इस बात के संकेत दिए थे कि इन बैंकों से मिलने वाले अनुभव के आधार पर वह दिशानिर्देशों में संशोधन करेगी और अधिक नियमित रूप से लाइसेंस प्रदान करेगी. इसके अलावा, आरबीआई ने ये संकेत भी दिए थे कि वह ऐसी नीति पर काम करेगी जिसमें बैंकों के लाइसेस की अलग– अलग श्रेणियां होंगी और जो बैंकिंग के क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों को आने का व्यापक पूल प्रदान करेंगी.

10 जुलाई 2014  को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2014-2015 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014-2015 में निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों के निरंतर अधिकरण के लिए संरचना बनाने पर बल दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि आरबीआई स्मॉल बैंकों और अन्य डिफ्रेंशिएटेड बैंकों के लाइसेंस देने की रूपरेखा बनाएगी.

उपरोक्त घोषणाओं के एवज में आरबीआ ने पेमेंट्स बैंकों और स्मॉल बैंकों के डिफ्रेंशिएटेड या रिस्ट्रिक्टेड बैंक्स ( प्रतिबंधित बैंकों) के रूप में दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार किया है.

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