केंद्र सरकार ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना की युद्धक क्षमता को प्रोत्साहन देने हेतु एक कोर के गठन को 17 जुलाई 2013 को मंजूरी दी. इसके तहत 65 हजार करोड़ रूपए के खर्च से चीन की सीमा पर 50 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती शामिल है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में रक्षा मामलों से संबंधित मंत्रिमंडल समिति द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इस बैठक में कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा थल सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह और वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन भी मौजूद थे.
इस योजना के तहत सेना पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में नई कोर का मुख्यालय खोल सकती है. बिहार और असम में उसके दो डिवीजन होने हैं जबकि जम्मू कश्मीर के लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक अन्य इकाइयां होनी हैं. सेना को पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनाती के लिए नई तोपखाना डिविजनें दी जानी है.
विदित हो कि वर्तमान में चीन से सटे इलाके में सेना की दो डिवीजन तैनात हैं. सेना की एक डिवीजन में 10 से 20 हजार तक जवान होते हैं. सेना सीमा से सटे इलाके में हल्के होवित्जर तोप, हल्के टैंक और हेलीकॉप्टर तैनात करने की भी योजना बना रही है. सेना और एयरफोर्स पूर्वोत्तर क्षेत्र में बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल की तैनाती पर भी विचार कर रहे हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई हेलीपैड और एयर फील्ड का निर्माण किया गया है.
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