केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधि (प्रतिबंध) अधिनियम, 1967 के तहत नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खपलांग), एनएससीएन-के और उसकी सभी शाखाओं को आतंकी संगठन घोषित किया.
एनएससीएन-के संगठन को निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा बलों की हत्या करने और मणिपुर के चंदेल जिले में सेना के काफिले पर 4 जून 2015 को हमले सहित अन्य हिंसक गतिविधियों में लिप्त होने के बाद एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया.
इससे पहले 15 सितंबर, 2015 को एनएससीएन-(के) को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.
6 नवम्बर, 2015 को जारी राजपत्रित अधिसूचना में कहा गया कि एनएससीएन-के एक उग्रवादी गुट है, जो 1988 में अस्तित्व में आया और भारत-म्यांमार सीमा पर वारदात करता है.
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) के बारे में
• नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) की स्थापना इसाक चिशी स्वू, थुइंगलेंग मुइवा और एस.एस. खापलांग द्वारा जनवरी 1980 में की गई.
• विदित है कि भारत सरकार के साथ वार्ता प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) वर्ष 1988 में दो गुटों में बंट गया- नेशनल सोशलिस्ट काउंलिस ऑफ नागालैंड इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड खापलांग (एनएससीएन-के).
• वर्ष 2001 में, दोनों गुटों ने केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए.
• एनएससीएन-के का मुख्यालय म्यांमार के टागा में स्थित है और एनएससीएन-खापलांग के पास करीब 1000 कार्यकर्ताओं के होने का अनुमान है.
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