26 अगस्त 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और अफगानिस्तान के बीच नागरिक एवं व्यावसायिक मामलों में सम्मन, न्यायिक दस्तावेजों, आयोगों, न्याय और पंचाट के फैसलों के निष्पादन हेतु कानूनी और न्यायिक सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी.
समझौते की मुख्य बातें
न्यायिक आदेशों, समन और अन्य कानूनी एवं न्यायिक दस्तावजों या प्रक्रिया सेवा.
अनुरोध के माध्यम से सबूत लेना.
न्याय, निपटान और पंचायती फरमानों का निष्पादन.
लागू होने से पहले या बाद में नागरिक और व्यावसायिक मामलों से संबंधित पारस्परिक कानूनी सहायता के लिए किए गए किसी भी प्रकार के अनुरोध पर यह समझौता लागू होता है.
इसमें कहा गया है कि सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों की सेवा इस आधार पर खारिज नहीं की जाएगी कि अनुरोध मामले के पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया.
नागरिक जिस देश से ताल्लुक रखते हैं वहां की न्यायिक प्रक्रियाओं को पूरा करने में मदद करने हेतु बिना किसी मजबूरी के यह समझौता वे जिस देश के राजनयिक और कौंसलीय प्रतिनिधि हैं, द्वारा साक्ष्य लेने की भी बात करता है.
समर्थन के आदान– प्रदान के 30 दिनों के बाद यह समझौता लागू हो जाएगा. छह माह के नोटिस के साथ किसी भी पक्ष द्वारा इसे निरस्त करने तक यह समझौता प्रभावी रहेगा. समझौते के प्रावधान नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी),1908 के प्रावधानों, और पंचाट एवं सुलह अधिनियम, 1996 के अनुरूप है.
यह समझौता दोनों ही देशों के नागरिकों के लिए लाभकारी है. यह दोनों ही देशों की दोस्ती और न्यायिक एवं कानूनी मामलों में बेहतर सहयोग की इच्छा को पूरा करेगा.
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