केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 मार्च 2015 को विनियोग अधिनियम(निरस्त) विधेयक, 2015 को मंजूरी दे दी.यह विधेयक 758 विनियोग अधिनियमों को निरस्त करेगा. विधेयक के तहत जिन अधिनियमों को निरस्त किया जाना है उनमे रेलवे अधिनियम भी शामिल है जो 1950 से 2012 के बीच अधिनियमित था इसके साथ ही राज्य विनियोग अधिनियम को भी निरस्त किया जाएगा जिसे 1950 से 1976 के बीच अधिनियमित किया गया था.
इस विधेयक को अधिनियमित करने का उद्देश्य समय के साथ अनावश्यक हो गए अधिनियमों को समाप्त करना है. इस समय 1741 विधेयक ऐसे हैं जो अब अनावश्यक हैं परन्तु अब भी अस्तित्व में हैं.
मंत्री मंडल द्वरा यह कदम प्रशासनिक कानून की समीक्षा करने के लिए गठित किए गए पी.सी जैन आयोग की सिफारिश के आधार पर लिया गया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1998 में सौंपी थी.रिपोर्ट में 1950 तक अधिनियमित किए गए 700 अधिनियमों को निरस्त करने का सुझाव दिया गया था.
ए पी शाह की अध्यक्षता में 20वें विधि आयोग ने अपनी 248वीं रिपोर्ट ‘ओब्सलीट लॉ: वारंटिंग इमीडियेट रिपील’ (Obsolete Laws: Warranting Immediate Repeal )में भी अप्रचलित अधिनियमों को निरस्त करने की सिफारिश की गई थी.
राज्य सभा की प्रवर समिति ने विनियोग अधिनियम में निरस्त खंड जोड़ने की सिफारिश की है. सरकार विनियोग अधिनियम,2016 में इस खंड को जोड़ने पर विचार कर रही है.
इससे पहले 18 मार्च 2015 को लोक सभा में 35 पुराने कानूनों को निरस्त करने के लिए निरस्त और संशोधन विधेयक, 2014 पारित किया गया था.
8 दिसंबर 2014 को लोक सभा ने निरस्त और संशोधन विधेयक(द्वितीय), 2014 पारित किया था जिसने 90 कानूनों को निरस्त करने और दो कानूनों में संशोधित करने की माँग की थी.
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