केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों के लिए समान रैंक-समान पेंशन लागू करने को 24 सितंबर 2012 को मंजूरी दे दी. इसके लिए केंद्र सरकार ने 2300 करोड़ रुपए भी मंजूर किए. इस निर्णय से 21 लाख सेवानिवृत्त फौजियों को लाभ होगा.
साथ ही केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 7 प्रतिशत की वृद्धि की.
इस निर्णय के अनुसार सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों के बीच पेंशन में असमानता को खत्म कर दिया गया. इसके तहत जनवरी 2006 के पहले और उसके बाद तीनों सेनाओं से सेवानिवृत्त हुए जूनियर कमीशन अधिकारियों की पेंशन में अंतर की भरपाई के लिए यह कदम उठाया गया. पेंशन हेतु सिपाही, नायक और हवलदार रैंक पर जनवरी 2006 से दो साल पहले या दो साल बाद सेवानिवृत्त हुए लोगों को पात्र माना जाना है. इसी प्रकार वर्ष 2006 से पहले या बाद में सेवानिवृत्त हुए कमीशन अधिकारियों को न्यूनतम पे-बैंड की जगह न्यूनतम पेंशन सारणी में डालकर यह अंतर समाप्त कर दिया गया.
इसी तरह कमीशन, जूनियर कमीशन या अन्य अधिकारियों-फौजियों को न्यूनतम पे-बैंड के बजाय इन्हें न्यूनतम फिटमेंट टेबल के हिसाब से अब ज्यादा पेंशन मिलेगी. सेवानिवृत्त होने के बाद जिन जूनियर कमीशन अधिकारियों या अन्य की मृत्यु हो गई है, उनके परिजनों को अब 30 प्रतिशत के बजाय अधिकतम 60 प्रतिशत तक के स्केल पर पेंशन मिलेगी. इस निर्णय के बाद जो लोग फौज के अलावा नागरिक सेवा में भी रहे हैं, उन्हें दोनों ही क्षेत्रों से सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन मिलेगी. इसके अलावा सैन्यकर्मियों के मानसिक व शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों को शादी के बाद भी पारिवारिक पेंशन जारी रहेगी.
सैनिकों की इस मांग और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से उत्पन्न विसंगतियों की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में एक समिति ने इस मांग पर विचार करने के बाद इसकी सिफारिशों की.
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