केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने देश की आर्थिक समीक्षा 2012-13 (Economic survey 2012-13) लोकसभा में 27 फरवरी 2013 को प्रस्तुत किया. आर्थिक समीक्षा 2012-13 में घरेलू और वैश्विक कारकों के प्रभाव को दूर करने और आर्थिक सुधारों में तेजी लाने की बात की गई है. वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा तत्कालीन वितमंत्री एवं वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रस्तुत की थी. मुख्य आर्थिक समीक्षा 2012-13 को आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों की एक टीम ने तैयार किया.
आर्थिक समीक्षा 2012-13 की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
• भारतीय अर्थव्यषवस्था में मंदी का दौर समाप्ति
• सामाजिक क्षेत्र के लिए खर्च में व्यापक वृद्धि
• भारतीय अर्थव्यरवस्था में वित्तवर्ष 2013-14 के दौरान जीडीपी 6.1 से 6.7 प्रतिशत और वित्तवर्ष 2012-13 में 5 प्रतिशत होने का अनुमान.
• मार्च 2013 तक महंगाई घटकर 6.2 से 6.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान.
• वित्तवर्ष 2014 में व्यापार घाटा 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान.
• वित्तवर्ष 2014 में वित्तीय घाटा 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान.
• बाहरी और घरेलू कारकों की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार वर्ष 2011-12 में 6.2 प्रतिशत.
• आर्थिक मंदी का दौर खत्म.
• वर्ष 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन माध्यमों से उसका डटकर सामना करने के साथ वर्ष 2009-10 और 2010-11 में क्रमश: 8.6 और 9.3 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की.
• वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2013 में सुधार और विभिन्न सरकारी उपायों से 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार में मदद मिलने की संभावना.
• मंदी के बावजूद सेवा क्षेत्र में बिगड़ती बाहरी स्थितियों के प्रति कृषि और उद्योग की तुलना में अधिक मजबूती.
• सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर गिरकर 2011-12 में 8.2 प्रतिशत तथा 2012-13 में 6.6 प्रतिशत हुई.
• मंदी के कारण उद्योग तथा कृषि क्षेत्र में अपर्याप्त वृद्धि.
• बेहतर कृषि विकास दर हासिल करने के लिए सर्वेक्षण में स्थिर और टिकाऊ नीतियों पर जोर.
• सरकार द्वारा रिटेल में एफडीआई की इजाजत देने से भी भारत में नई प्रौद्योगिकी में निवेश तथा कृषि उत्पादों के विपणन का मार्ग प्रशस्त होने का अनुमान.
• नौकरियों, आमदनी और खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि में तेज विकास दर बनाए रखना जरूरी.
• भारत सरकार द्वारा खाद्य उत्पादन को प्रोत्साहन देकर मुद्रास्फीति से निपटने को प्राथमिकता.
• कुल निर्यात में कमी, भारत का भुगतान संतुलन दबाव में.
• विदेशी मुद्रा भंडारों में 286 अरब अमरीकी डॉलर और 295.6 अरब अमरीकी डॉलर के बीच उतार-चढ़ाव.
• अक्टूबर 2012 से जनवरी 2013 के दौरान रूपये की कीमत प्रति अमरीकी डॉलर 53.02 रूपये से 54.78 रूपये पर बनी रही.
• नौकरियों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए एक विशेष अध्याय है. भारत का भविष्य उज्जवल है, बशर्ते वर्ष 2011 से 2030 के बीच हम जनसंख्या के उस हिस्से का फायदा उठा सकें, जिसमें हमारा आधा श्रमिक वर्ग 30 से 49 आयु वर्ग का होगा.
• मांग में कमी तथा कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में कमी आने की संभावना.
• बैंकिंग क्षेत्र के नॉन परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) पर जोर को गंभीरता से लिया गया है, जो मार्च 2011 के कुल अग्रिम ऋण का 2.36 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर 2012 में 3.57 प्रतिशत हो चुके थे.
• 12वीं पंचवर्षीय योजना में सामाजिक सेवाओं पर खर्च में पर्याप्त वृद्धि. इसमें शिक्षा क्षेत्र के लिए सबसे अधिक हिस्सा रखा गया और उसके बाद स्वास्थ्य को स्थान दिया गया.
• 11वीं पंचवर्षीय योजना में 15 प्रमुख कार्यक्रमों पर करीब 7 लाख करोड़ रूपये खर्च किये गये.
• कार्यक्रमों का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचने जैसी कई शासन की कुछ कमियां हैं, जिन्हें दूर किये जाने की जरूरत पर जोर.
• विशिष्ट पहचान संख्या (आधार) की मदद से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) से कार्यक्रमों का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाने का प्रयास.
• 12वीं योजना में पर्यावरण को बनाए रखने पर विशेष ध्यान केंद्रित किए जाने का निर्णय.
• भारत को विकास के लिए प्रमुख संचालकों और सहायकों चाहे वे बुनियादी सुविधाएं हों, परिवहन क्षेत्र हो, आवास या निरंतर कृषि विकास हो, को बरकरार रखने की जरूरत.
• ग्लोबल मार्केट को देखते हुए डीजल और एलपीजी के दाम बढ़ाना जरूरी.
• सोने का आयात कम करने पर जोर.
केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2012-13: एक नजर में
केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा देश की आर्थिक समीक्षा 2012-13 लोकसभा में प्रस्तुत. वित्तवर्ष 2013-14 के दौरान जीडीपी 6.1 से 6.7 प्रतिशत होने का अनुमान.
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