केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की पुरानी लैंड पूलिंग नीति में संशोधन करते हुए इससे जुड़े नये दिशानिर्देशों को 26 मई 2015 को मंजूरी दे दी.
इन दिशा-निर्देशों में भूमि के विकास में देरी के लिए जुर्माना लगाने की व्यवस्था की गई है. नये दिशा-निर्देशों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए आवास की व्यवस्था को भी अनिवार्य बनाया गया है.
शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री दीपा दासमुंशी ने लोक सभा में लैंड-पूलिंग नीति की मुख्य विशेषताओं की जानकारी दी.
- दिल्ली सरकार अथवा दिल्ली विकास प्राधिकरण एकीकृत नियोजित विकास को सुगम बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए न्यूनतम हस्त्क्षेप के साथ सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करेगी.
- प्रत्येक भू-स्वामी को न्यूनतम विस्थापन के साथ जोनल विकास योजना (जेडडीपी) में अपनी भूमि के लिए सौंपे गए भू-उपयोग का ध्यान किए बिना निष्पिक्ष रूप से लाभ मिलेगा.
- मास्टर प्लान की आश्रय नीति के अनुसार आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्लायूएस) तथा अन्य आवास के पर्याप्त प्रावधान हेतु समावेशी विकास सुनिश्चित करना.
- विकास क्षेत्र घोषित करने हेतु 95 गांवों का चयन किया गया है जिनमें लैंड-पूलिंग नीति लागू होगी.
- लैंड-पूलिंग की दो श्रेणियां हैं, श्रेणी एक -20 हेक्टेयर तथा अधिक एवं श्रेणी- दो, 2 हेक्टेंयर परन्तु 20 हेक्टेयर से कम.
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