गुजरात श्रम कानून संशोधन विधेयक-2015 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी

Dec 2, 2015, 16:25 IST

मजदूर किसी उद्योग द्वारा लिए गये निर्णय पर तीन वर्ष की बजाय एक वर्ष के भीतर आपत्ति उठा सकेंगे. इसका अर्थ यह हुआ कि मजदूर केवल एक वर्ष में ही किसी निर्णय के विरोध में अदालत में जा सकेंगे

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने श्रम कानून (गुजरात संशोधन) विधेयक-2015 को स्वीकृति प्रदान की, इससे गुजरात विधानसभा में फरवरी 2015 में पारित विधेयक कानून बन सकेगा.

विधानसभा द्वारा 25 फरवरी को विधेयक श्रम कानूनों को लचीला बनाने हेतु पारित किया गया. इसमें उद्योगों के दौरान मजदूरों एवं कर्मचारियों के मध्य होने वाले विवादों को अदालतों से बाहर सुलझाने पर बल दिया गया है.


कानून की विशेषताएं

•    इसमें जनपयोगी सेवाओं में हड़ताल पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रावधान दिया गया है.
•    इसके अनुसार मजदूर किसी उद्योग द्वारा लिए गये निर्णय पर तीन वर्ष की बजाय एक वर्ष के भीतर आपत्ति उठा सकेंगे. इसका अर्थ यह हुआ कि मजदूर केवल एक वर्ष में ही किसी निर्णय के विरोध में अदालत में जा सकेंगे.
•    अदालती मामलों से बचने के लिए इस विधेयक में अनावश्यक और अंतहीन मुकदमेबाजी कम की गयी है. इसके अनुसार मजदूर बिना अदालती कार्यवाही के नियोक्ता से समझौता कर सकते हैं. अदालत से बाहर किये गये समझौते में सरकार नियोक्ता से 21,000 रुपये जुर्माना वसूलेगी तथा आहत व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को 75 प्रतिशत धनराशि दी जाएगी.
•    इसमें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में कुछ बदलाव किये गये हैं जिसमें सरकार को उद्योगों पर अधिक अधिकार दिए गये हैं.
•    इसके अनुसार किये गये बदलावों में जिन उद्योगों में 20 से अधिक मजदूर कार्यरत हैं उनमें चेक द्वारा भुगतान किया जायेगा जो कि प्रधानमंत्री जन धन योजना को भी बल प्रदान करेगा.

यह विधेयक, ‘गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध में नियंत्रण विधेयक’ के साथ राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया था.

‘दि हिन्दू’ समाचार पत्र के अनुसार दाखिल सूचना का अधिकार याचिका से पता चला कि राष्ट्रपति ने 20 सितंबर 2015 को ही इस विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर दी थी. इसके अतिरिक्त 34 अन्य विधेयकों को भी स्वीकृति प्रदान की गयी है. विभिन्न राज्यों द्वारा 65 विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजे गये जिसमें सिक्किम स्थानीय रोजगार संवर्धन एवं गुजरात आतंकवाद विधेयक भी शामिल हैं.

हालांकि राष्ट्रपति ने सिक्किम स्थानीय रोजगार संवर्धन विधेयक-2008 को स्वीकृति देने से मना कर दिया. इसे 26 सितंबर 2015 को इसलिए अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि यह संविधान की धारा 14,15 एवं 19 का उल्लंघन करता है.

इस विधेयक के अनुसार जिन लोगों के पास सिक्किम सब्जेक्ट का सर्टिफिकेट है उन्हें प्राइवेट सेक्टर में 80 प्रतिशत रोज़गार का अवसर दिया जायेगा.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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