चीन ने जीएम फसलों को विनियमित करने के लिए सख्त कदम उठाए

Aug 6, 2014, 11:32 IST

चीन के कृषि मंत्रालय ने 29 जुलाई 2014 को देश में आनुवांशिक रुप से संशोधित (जीएम) फसलों की बिक्री और विकास को विनियमित करने का फैसला किया.

चीन के कृषि मंत्रालय ने 29 जुलाई 2014 को देश में आनुवांशिक रुप से संशोधित (जीएम) फसलों की बिक्री और विकास को विनियमित करने का फैसला किया. कृषि मंत्रालय और जीएम खाद्य सुरक्षा के प्रभारी के मुताबिक कोई भी कंपनी या व्यक्ति अगर जीएम फसलों को उगाने और बेचने के नियमों की अवहेलना करते हुए पाया जाता है तो उसे कड़ी सजा मिलेगी.

यह फैसला मीडिया में केंद्रीय चीन के सुपरबाजार में जीएम चावल के बेचे जाने की खबर के बाद लिया गया जिसका देश में बिक्री पर प्रतिबंध है, के. इसका उद्देश्य देश में जीएम फसलों के गैरकानूनी वितरण को रोकना है.

चीन में जीएम फसलों का व्यवसायीकरण
चीन ने जीएम सोयाबीन और कॉर्न्स के अधिकृत आयात को अनुमति दी थी और साथ ही विभिन्न जीएम फसलों जिसमें कपास, टमाटर, पपीता और मिर्च शामिल हैं, के विकास को प्रमाणित किया था. हालांकि, इसने अभी तक जीएम फसलों के व्यवसायिक उत्पादन या बिक्री की अनुमति नहीं दी है.

हालांकि, मंत्रालय ने वर्ष 2009 में कीट–प्रतिरोधी जीएम चावल के दो उपभेदों की प्रयोगात्मक रोपण को मंजूदी दी थी, लेकिन इसके लिए दिया गया सुरक्षा प्रमाणपत्र इस वर्ष समाप्त हो गया और इसका व्यावसायिक उत्पादन अभी शुरु किया जाना है. जीएम अनाज के लिए दिया गया सुरक्षा प्रणामपत्र इसके व्यावसायिक उत्पादक की स्वायत्ता से नहीं जुड़ा है.

चीन की आबादी अरबों में है. इसकी आबादी लगातार बढ़ रही है और इसकी भूमि की उपलब्धता धीरे– धीरे कम हो रही है जिससे पिछले दशक में सामान्य पैदावार ही हो पा रही है. इसलिए ऐसे दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा रुझान परेशानी का सबब हैं. चीन का जीएम फसलों के व्यावसायिक उत्पादन के दरवाजे को खोलना, परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है लेकिन, जीएम फसलों के बाद का प्रभाव अधिक चिंता का विषय है.

इस प्रकार के सुरक्षात्मक चिंताओं के पीछे की मुख्य वजह है जीएम फसलों का इंसानों पर पड़ने वाला प्रभाव. जीएम फसलों का पर्यावरण और मनुष्य जीवन पर पड़ने वाला दीर्घकालिक जोखिम का अभी भी पता नहीं चल पाया है. इससे चीन के खाद्य सुरक्षा पर बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है.

भारत में जीएम फसलों का व्यावसायीकरण
भारत ने सिर्फ एक जीएम फसल बीटी कॉटन के व्यावसायीकरण को मंजूरी दी है. हालांकि, कई जीएम फसलें जैसे बैंगन, मकई, टमाटर, चावल और मूंगफली हैं, जो अभी भी विकास के चरण में हैं और उनका क्षेत्र परीक्षण (फील्ड ट्रायल) चल रहा है. जीएम फसलों के क्षेत्र परीक्षण की सफलता देश में जीएम अनाजों के व्यावसायीकरण का रास्ता बनाएंगे.

हालांकि, भारत अभी भी जीएम फसलों के व्यावसायीकरण के बारे में निश्चित नहीं है. नीचे दी जा रही कुछ असुरक्षा है जो बड़ी चिंताओं की वजह हैं–

  • जीएम एक उच्च लागत वाली प्रौद्योगिकी है जो कि भारत में छोटे किसानों के लिए उपयुक्त नहीं है.
  • भारत में जीएम फसलों के परीक्षण के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और उपकरणों की कमी है.
  • भारत में जीएम फसलों का नियामक ढांचा कमजोर है.
Jagran Josh
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Education Desk

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