चीन ने परमाणु संयंत्रों के बड़े नेटवर्क का विस्तार करने के लिए परमाणु बिजली विस्तार योजना (न्यूक्लियर पावर एक्सपैंशन स्कीम) का शुभारंभ किया. इस फैसले की घोषणा चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) द्वारा 5 दिसंबर 2014 को की गई.
राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) ने अपतटीय परमाणु बिजली परियोजनाओं को विकसित करने संबंधी योजनाओं की भी घोषणा की. इसने चीन में तीसरी पीढ़ी के रिएक्टरों के निर्माणाधीन परियोजनाओं में समस्याओं को दूर करने के लिए सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरुप होना भी सुनिश्चित किया.
वास्तव में, चीन के निर्माणाधीन तीसरी पीढ़ी के रिएक्टरों में पम्पों और वॉल्वों की समस्याओं के साथ– साथ डिजाइन की कठोरता की समस्या भी है. चीन इन समस्याओं से निपटने में लगा है.
वर्तमान में, चीन में अमेरिका स्थित वेस्टंगहाउस के सहयोग से बनने वाले नए 1000 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टर के साथ 27 परमाणु बिजली संयंत्र निर्माणाधीन है. चीन करीब 200 परमाणु संयंत्रों का निर्माण करने वाला है.
हालांकि, चीन की बिजली आपूर्ति में परमाणु ऊर्जा का योगदान सिर्फ 2 प्रतिशत है जो कि वैश्विक औसत 15 प्रतिशत से बहुत कम है. इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि परमाणु बिजली क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, हाई एंड उपकरणों से उत्पादन और चीन में बिजली उत्पादन का अनुकूलन हो सकेगा.
वर्ष 2011 में चीन ने फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के बाद परमाणु बिजली परियोजनाओं को अनुमति देना बंद कर दिया था. चीन ने दक्षिण अफ्रीका के साथ परमाणु ईंधन के पुनर्चक्रण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया है.
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