चीन ने 8 अक्टूबर 2014 को घोषणा की कि वह वर्ष 2019 तक नया समुद्री निगरानी उपग्रह की श्रृंखला लांच करेगा. ये उपग्रह जहाजों, तेल रिसाव और समुद्री आपदाओं की निगरानी करेंगे. इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ समुद्री विवादों को सुलझाना है.
उपग्रह की सुविधाएं
एचवाई-3 (HY-3) समूह में उपग्रहों की एक श्रृंखला होगी जिसमें सिंथेटिक अपर्चर रडार टेक्नोलॉजी लगी होगी. यह टेक्नोलॉजी दिन या रात और किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम होगी. उपग्रह अंतरिक्ष से बहुत दूर की चीजों को देखने और जमीन एवं समुद्री सतह की हाई– डिफिनिशन फोटो भेजने में सक्षम होगा. उपग्रह का प्रयोग तेल रिसाव, समुद्री बर्फ, महासागरीय लहरों औऱ सतह की हवाओं के साथ जहाजों और ड्रिलिंग प्लेटफॉर्म की निगरानी भी करेगा.
दक्षिण चीन सागर में समुद्री विवाद
चीन दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में कई देशों के साथ समुद्री विवाद से जूझ रहा है. जबकि वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया और ब्रूनी चीन के दक्षिण चीन सागर पर दावे के खिलाफ खड़े हैं, पूर्वी चीन सागर में चीन जापान के साथ विवादित द्वीप पर प्रमुख समुद्री विवाद का सामना कर रहा है.
चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के द्वीप जिस पर वियतनाम अपना दावा करता है, में सैन्य विमानों के लिए रनवे बनाने पर भी विरोध का सामना कर रहा है. इसके अलावा, चीन ने आगामी दस वर्षों में अर्थ ऑब्जरवेशन सिस्टम के निर्माण की योजनाओं की भी घोषणा की जिसमें हवा, अंतरिक्ष और जमीन आधारित प्रौद्योगिकी– ड्रोन, उपग्रह और जीपीएस प्रणालियां का प्रयोग किया जाएगा.
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