भारत ने ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली तथा परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नयी तरह की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. इसका परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तत्वाधान में ओडिशा के व्हीलर द्वीप से 20 जनवरी 2014 को सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर किया गया. परमाणु प्रक्षेपास्त्र अग्नि-4 की मारक क्षमता 4000 किमी है.
इस प्रक्षेपास्त्र ने बड़ी सहजता से मिश्रित ठोस ईंधन वाली रॉकेट मोटर प्रौद्योगिकी के आधार पर 850 किमी ऊंची उड़ान भरी, 20 मिनट के भीतर अपने पूरे क्षेत्र को कवर कर लिया और लक्ष्य पर दो अंकों वाली सटीकता के साथ प्रहार किया. डीआरडीओ की ओर से किया गया अग्नि-4 का यह लगातार तीसरा ट्रायल सफल प्रक्षेपण था. अब इसे सशस्त्र सेना को सौंप दिया जाएगा.
अग्नि-4 का यह परीक्षण डीआरडीओ के महानिदेशक एवं रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार अविनाश चंदर की देखरेख में संपन्न हुआ. अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3 और पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र पहले ही सशस्त्र सेनाओं में शामिल किया जा चुका है, जो 3000 किमी तक प्रहार करने की क्षमता रखते हैं.
डीएस एवं डीजी (एमएसएस) डॉ वीजी शेखरन ने प्रक्षेपण संबंधी गतिविधियों को देखा और उससे जुड़ी टीम का मार्ग निर्देशन किया.परियोजना निदेशक टेस्सी थॉमस ने अग्नि-4 के परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया.
20 मीटर लंबी मिसाइल का वजन 17 टन के आसपास है और इसमें दो चरणों वाले ठोस प्रणोदन हैं.
विश्व में अपनी तरह की पहली मिसाइल मानी जाने वाली इस मिसाइल का पिछला परीक्षण 19 सितंबर 2012 को इसी सैन्य अड्डे से हुआ था. अग्नि-4 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 15 नवंबर 2011 को किया गया था.
विदित हो कि अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें डीआरडीओ की पांच परियोजनाओं में से एक हैं. ये परियोजनाएं वर्ष 1983 में शुरू और सभी निर्दिष्ट उद्देश्यों के हासिल होने के बाद 2008 में समाप्त हुए एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत शुरू हुई थीं.
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