तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा का चयन वर्ष 2012 के टेंपलटन पुरस्कार के लिए किया गया. टेंपलटन फाउंडेशन ने इनके चयन की जानकारी 29 मार्च 2012 को दी. इनके चयन के साथ ही टेंपलटन पुरस्कार पाने वाले मदर टेरेसा के बाद वह दूसरे व्यक्ति बन गए जिन्हें शान्ति का नोबेल पुरस्कार दिया गया हो. मदर टेरेसा को वर्ष 1979 में और दलाई लामा को वर्ष 1989 में शान्ति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. प्रथम टेंपलटन पुरस्कार (1973) मदर टेरेसा को प्रदान किया गया था.
इस पुरस्कार के लिए उनका चयन आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए किया गया. यह पुरस्कार 76 वर्षीय दलाई लामा को लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल में आयोजित एक समारोह में 14 मई 2012 को दिया जाना है.
टेंपलटन पुरस्कार के अंतर्गत विजेता को 11 लाख पाउंड (90 लाख रुपए) की नगद राशि प्रदान की जाती है. यह पुरस्कार टेंपलटन फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है. टेंपलटन पुरस्कार किसी ऐसे जीवित व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने जीवन को आध्यात्म के माध्यम से दृढ़ बनाया हो. यह चाहे सूक्ष्म खोज के माध्यम से हो या व्यवहारिक रूप से हो.
वर्ष 1972 में स्वर्गीय जान टेंपलटन द्वारा घोषित किए गए इस पुरस्कार का उद्देश्य जीनव में आध्यात्म को आत्मसात करने वाले लोगों की पहचान करना है.
विदित हो कि वर्ष 1959 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा किए जाने के बाद दलाई लामा ल्हासा से भागकर भारत आए और तब से वह धर्मशाला में निर्वासित जीवन जी रहे हैं.
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