एक अध्ययन के मुताबिक चार वर्ष से कम उम्र वाले ड्रामाइडेरी उंट (एक कूबड़ वाला उंट) मिडिल ईस्ट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम (MERS) वायरस के मुख्य स्रोत हो सकते हैं. यह अध्ययन इमर्जिंग इन्फेक्शियस डीजीज नाम के जरनल के जून 2015 के अंक में प्रकाशित हुआ है.
यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय टीम ने किया था.यह टीम वर्तमान या पुराने MERS संक्रमण के लिए 800से भी अधिक ड्रामाइडेरी उंटों या अरेबियन ऊंटों में इसका पता लगाने की कोशिश कर रही थी.पशुपालन के तरीके में बदलाव कर मानव MERS संक्रमण को कम किया जा सकता है.
अध्ययन के निष्कर्ष
अरब प्रायद्वीप और पूर्वी एवं उत्तरी अफ्रीका के हिस्सों में पाए जाने वाले ड्रामाइडेरियों (उंट) में MERS CoV एंटीबॉडीज होते हैं.इन एंटीबॉडीज के उन्हीं वायरस उपभेदों के साथ संक्रमित होने की संभावना है जिससे मनुष्य संक्रमित हैं.
90 फीसदी से अधिक ऊंट MERS वायरस से दो वर्ष की उम्र में संक्रमित हो जाते हैं और ये संक्रमण व्यस्क उंटों की तुलना में शिशु उंटों में अधिक आम है.
ड्रामाइडेरी ऊंट जो मध्य पूर्व में रह रहे हैं, में एंटीबॉडीज होती हैं जो MERS वायरस प्रोटीन को पहचान लेता है जो कि पिछले संक्रमण का मजबूत संकेत है.
हालांकि मनुष्यों में MERS वायरस का प्रसार अभी भी अनजान है लेकिन संभवतः यह संक्रमित उंटों के शरीर से निकलने वाले द्रव्यों के साथ सीधे संपर्क में आने की वजह से होता है.
वैकल्पिक रूप में यह अपाश्चुरिकृत ऊंटनी के दूध को पीने से फैल सकता है और संभवतः यह संक्रमित शिशु उंट के लार से उनकी माताओं में जाता है.
अध्ययन
टीम ने 20–40 किलोमीटर दूर स्थिति फार्म के 3 समूहों से ड्रामाइडेरियों में डेयरी, रेसिंग और प्रजनन की जांच की.मार्च–जून 2014 में सभी 3 समूहों के ऊंटों के खून और नाक के श्राव के नमूने लिए गए. नमूनों को ऊंटों के उम्र के हिसाब से समूह में बांटा गया था.
सेरोलॉजिक टेस्टिंग में सभी ड्रामाइडेरियों में जिनकी उम्र 2 वर्ष से अधिक थी, में 96 फीसदी से अधिक ऊंटों में MERS CoV एंटीबॉडीज के सबूत मिले.
ऊंटों के बच्चों में MERS CoV एंटीबॉडीज संक्रमण को समझने के लिए टीम ने प्रजनन समूह के 24 माता– शिशु समूह की जांच की. ये जांच मई 2014 में की गई थी. नमूना लेते समय माता ऊंट 12–15 वर्ष और बच्चे 4–6 माह के थे.
उन्होंने 3 फार्म के ऊंटों से 9 वायरस आइसोलेट्स का अनुक्रम बनाया जो 3 अलग– अलग वंशावली को बता रहे थे.पूर्ण जीनोमों की फाइलोजेनी यह बताती है कि सभी वायरस अपने मूल स्थान के अनुसार संकुल हैं.
मिडिल ईस्ट रेस्पायरेटरी सिंड्रोम (MERS) के बारे में
MERS वायरस की खोज 2012 में हुई थी और इनमें से अधिकांश सऊदी अरब में ही था. यह कोरोनावायरस के परिवार से ताल्लुक रखता है जिसमें सामान्य सर्दी और SARS शामिल होता है. इसकी वजह से बुखार, सांस संबंधी समस्याएं, निमोनिया हो सकता है तथा किडनी खराब हो सकती है.
पहले यह माना जा रहा था कि यह वायरस मुख्य रूप से ऊंटों के संपर्क में आने से फैलता है लेकिन यह मनुष्यों के तरल पदार्थ और बूंदों से भी फैल सकता है. यूरोपीयन सेंटर फॉर डीजीजी प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक पूरी दुनिया में इस वायरस के 1167 मामले दर्ज किए गए हैं और इसमें से 479 मरीजों की मौत हो चुकी है.
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