चीन के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतन प्लेट्यू रिसर्च ऑफ चाइनीज एकेडेमी ऑफ साइंसेज (सीएएस)’ द्वारा मई 2014 के चौथे सप्ताह में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के ग्लेशियर पूर्व स्थिति की अपेक्षा 15 प्रतिशत कम हो गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग (धरती के बढ़ते तापमान) की वजह से यह स्थिति सामने आई.
सीएएस रिपोर्ट के अनुसार, तीन दशक में ग्लेशियर 53000 वर्ग किलोमीटर से 15 प्रतिशत घटकर 45000 वर्ग किलोमीटर रह गए हैं. सीएएस के ‘कोल्ड एंड एरिड रीजंस इनवायरनमेंटल एवं इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के अनुसार, तिब्बत के ग्लेशियर 20वीं सदी से ही सिकुड़ रहे हैं और 1990 के दशक से इसकी गति तेज हो गई.
विदित हो कि तिब्बत कई हिमालयी नदियों का उद्गम स्थल है, जिसमें ब्रह्मपुत्र प्रमुख है. इस क्षेत्र में 46000 से अधिक ग्लेशियर हैं.
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