थाईलैंड की संसद ने 28 नवंबर 2014 को किराये की कोख के वाणिज्यिक आदान प्रदान पर रोक लगाने के लिए मतदान किया. मसौदा विधेयक, 177 मतों से पारित कर दिया गया. इसका उल्लंघन करने वालों को जेल में 10 साल तक रहना पड़ सकता. बिचौलियों या एजेंसियों की दलाली को इस क़ानून के द्वारा कड़ाई से रोक गया है.
अगस्त 2014 में ऑस्ट्रेलियाई दंपत्ति ने थाईलैंड की एक सरोगेट महिला से अपने बच्चे को लेने से इनकार कर दिया था क्योंकि उस बच्चे को डाउन सिंड्रोम था. इस घटना के बाद सरोगेसी (किराए की कोख) से जुड़े अभियानकर्ताओं ने इसके लिए स्पष्ट नियमन की मांग की थी.
इस बच्चे के इलाज की सख़्त ज़रूरत है. इस बच्चे की जुड़वा बहनों को अज्ञात दंपत्ति ऑस्ट्रेलिया लेकर चले गए.थाईलैंड में मौजूद इस सरोगेट मां का कहना है कि वह उस बच्चे का पालन पोषण ख़ुद ही करेंगी और एक ऑनलाइ अभियान के ज़रिए इस बच्चे के इलाज के लिए 185,000 डॉलर राशि जुटाई गई है.उनकी मां पट्टारामोन चानबुआ को ऑस्ट्रेलियाई दंपत्ति ने मां बनने के लिए 15,000 डॉलर का भुगतान किया था.गर्भावस्था के चार महीने बाद जब डॉक्टरों ने इस बच्चे की स्थिति के बारे में बताया तब इस दंपत्ति ने पट्टारामोन को गर्भपात कराने के लिए कहा था.ऑस्ट्रेलिया में सरोगेसी के लिए भुगतान करना ग़ैरक़ानूनी है इसी वजह से दंपत्ति को किसी ऐसी महिला की तलाश करनी पड़ी जो अपने कोख में उनका बच्चा सिर्फ़ स्वास्थ्य और दूसरे ज़रूरी ख़र्च लेकर पाल ले और इसके अतिरिक्त कोई भुगतान न करना पड़े.
थाईलैंड में किराये की कोख के व्यापार पर क्रोध में वृद्धि तब हुई है. जब एक जापानी आदमी नौ सरोगेट बच्चों का पिता बना. मई 2014 में थाईलैंड के सत्तारूढ़ सैन्य शासकों, किराये की कोख की व्यापारिक व्यवस्था को समाप्त करने का वादा किया था.
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