राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ध्यानाकर्षक संरक्षण विधेयक, 2011 (व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण विधेयक 2011, Whistleblowers Protection Bill 2011) को 12 मई 2014 को मंजूरी प्रदान की. इस मंजूरी के साथ ही यह विधेयक ध्यानाकर्षक संरक्षण अधिनियम, 2011 (Whistleblowers Protection Act 2011) बन गया.
ध्यानाकर्षक संरक्षण विधेयक, 2011 को लोकसभा ने 11 दिसंबर 2011 को जबकि दो संशोधनों के साथ राज्य सभा ने 21 फरवरी 2014 को पारित किया था.
ध्यानाकर्षक संरक्षण अधिनियम, 2011 के मुख्य बिंदु
• इस अधिनियम में मंत्रियों सहित सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार या अधिकारों के दुरूपयोग से संबंधित सूचना देने वाले व्यक्ति को संरक्षण देने के लिए नियमित व्यवस्था करने का प्रावधान है.
• अधिनियम में सरकार को हुए नुकसान की जानकारी देने वाले व्यक्ति को पर्याप्त संरक्षण देने का भी प्रावधान है.
• यह अधिनियम जनता को मंत्रियों और लोकसेवकों द्वारा अधिकारों का जानबूझकर दुरुपयोग करने के बारे में या भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी का खुलासा करने के लिए उत्साहित करने की प्रणाली प्रदान करता है.
• कोई व्यक्ति किसी सक्षम प्राधिकार के समक्ष भ्रष्टाचार के मामले में जनहित में जानकारी सार्वजनिक कर सकता है.
• शिकायत करने हेतु केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) सक्षम प्राधिकरण है.
• भारत सरकार अधिसूचना जारी करके भ्रष्टाचार के बारे में इस तरह की शिकायतें प्राप्त करने के लिए भी किसी को नियुक्त कर सकती है.
• इस कानून में झूठी या फर्जी शिकायतों के मामले में दो वर्ष तक की कैद और 30000 रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग को सशक्त करने के लिए यह विधेयक वर्ष 2004 में संघ सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
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