प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने 19 जुलाई 2014 को प्रधानमंत्री राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में गुणात्मक सुधार के सुझाव दिए. इन सुझावों को गुजरात मॉडल के आधार पर लागू किए जाने की संभावना है.
उपरोक्त सुझावों को गरीबों और बच्चों को ध्यान में रखकर लागू किया जाना है.
इसके अतिरिक्त, मोदी ने प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रक्षा कोष, प्रधानमंत्री छात्र सहायता कोष और प्रधानमंत्री लोक कला कोष का भी पुर्नअध्ययन किया.
संभावित गुणात्मक बदलाव
- लाभार्थियों का चयन अधिक पारदर्शी, वैज्ञानिक और मानवीय आधार पर किया जाएगा, जिसमें गरीबों, बच्चों और सरकारी अस्पतालों के मरीजों को वरीयता दी जाएगी.
- जीवननाशक मामलों में वरीयता मांग और मेरिट के आधार पर दी जाएगी.
- लंबित अपीलों से जुड़े मामलों को कम किया जाएगा.
- लाभार्थियों का चयन इस प्रकार किया जाएगा कि कोई भी वास्तविक लाभार्थी छूट न जाए.
- प्रधानमंत्री की ओर से सभी लाभार्थियों को एक पत्र भेजा जाएगा.
- सभी लाभार्थियों को एसएमएस द्वारा सूचना दी जाएगी.
प्रधानमंत्री राहत कोष
प्रधानमंत्री राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की स्थापना वर्ष 1948 में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की सहायता के लिए की गई थी. प्रधानमंत्री राहत कोष पूर्णत: जन सहयोग से संचालित है और इसके लिए बजट में कोई भी प्रावधान नही किया जाता है. इस संग्रह को बैंको में सावधि जमा (एफडी) के रुप में रखा जाता है. फंड का उपयोग प्रधानमंत्री की सहमति से किया जाता है.
समान्यत: पीएमएनआरएफ का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं, यथा बाढ़, भूकंप और तूफानों में मारे गए लोगों और भयंकर दुर्घटनाओं और दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने में किया जाता है. इसका उपयोग ह्रदय शल्य चिकित्सा, फेफड़ा प्रत्यारोपण आदि में भी किया जाता है.
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