नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगड़िया द्वारा 27 अगस्त 2015 को नई दिल्ली में भारत ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य 2047 (आईईएसएस) का दूसरा संस्करण प्रस्तुत किया गया.
यह वेब आधारित एक खुला माध्यम है जिससे भारत के भविष्य में काम आने वाले उर्जा स्रोतों का लाभ उठाकर वर्ष 2047 तक मांग के अनुसार उर्जा की आपूर्ति की जा सकती है.
इसका पहला संस्करण योजना आयोग द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसे 28 फरवरी 2014 को निष्क्रिय कर दिया गया.
भारत ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य 2047, 2.0 की विशेषताएं
इसका उद्देश्य देश की उर्जा योजना में विभिन्न हितधारकों को शामिल करना तथा विभिन्न स्तरों पर सूचना की उपलब्धता मुहैया कराना है.
देश में सौर, पवन, जैव ईंधन, तेल, गैस, कोयला और परमाणु उर्जा के संभावित स्रोतों का पता लगाना तथा परिवहन, उद्योग, कृषि, भोजन तथा प्रकाश उपकरणों के उपभोग में उपयोग करने की संभावनाओं की तलाश करना.
यह मॉडल उपयोगकर्ता को अंतःक्रियात्मक ऊर्जा विकल्प बनाने और देश-में कार्बन-डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के परिणामों के सीमा का पता लगाने तथा भूमि उपयोग के लिए निर्भरता आयात करने की अनुमति देता है.
यह सरकार के वर्ष 2022 तक सबके लिए विद्युत् उपलब्धता, गांवों में बिजली पहुँचाने, निर्भरता कम करने एवं 175 गीगावॉट की शक्ति नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने के लक्ष्य में सहायता प्रदान करेगा.
इससे नीति निर्माता तथा सांसद भारत के लिए अधिक सुरक्षित एवं उपयोगी उर्जा स्रोत प्राप्त कर सकेंगे.
इसे थिंक टैंक, उद्योग निकायों और अनुसंधान संगठनों के विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद विकसित किया गया.
इस परियोजना में यूके डिपार्टमेंट फॉर एनर्जी एंड क्लाइमेट चेंज (डीईसीसी) नीति आयोग के साथ सहयोगी भूमिका में है.
इस प्रकार के साधनों का 20 देशों में उपयोग किया जा रहा है जो स्वयं अपने उर्जा/जलवायु कैलकुलेटर तैयार कर चुके हैं, इन देशों में चीन, बांग्लादेश एवं दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
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