परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रमुख अधिवक्ता पी. आर. चारी का 24 जुलाई 2015 को नई दिल्ली में निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे.
वे परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक आम सहमति बनाने हेतु विश्व प्रसिद्ध हैं, उन्हें परमाणु निरस्त्रीकरण के विषय में अतर्राष्ट्रीय उच्च स्तरीय विचारक माना जाता है.
आईएएस अधिकारी के रूप में वे रक्षा मंत्रालय में कार्यरत रहे, इसके अतिरिक्त वे 1975 से 1980 तक रक्षा और सामरिक विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं.
वर्ष 1992 में सेवानिवृत होने के पश्चात् उन्होंने निरस्त्रीकरण के विषय पर बड़े पैमाने पर लेखन कार्य किया. आईडीएसए की वेबसाइट के अनुसार उनके द्वारा 1400 से अधिक लिखे गए लेख तथा 130 से अधिक मोनोग्राफ भारत एवं विदेशों में प्रकाशित हो चुके हैं.
उन्होंने कार्नेगी एन्डोमेंट्स के लिए लिखे गए अपने अंतिम लेखों में भारत के परमाणु सिद्धांत की आलोचना करते हुए कहा कि "पारदर्शिता की कमी" और "उद्देश्यों पर ध्यान" के दोषों से युक्त सिद्धांतों पर पुनर्विचार किये जाने के आवश्यकता है.
पी. आर. चारी दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट फॉर पीस एंड कोंफ्लिक्ट स्टडीज़ के सह-संस्थापक भी थे.
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